कोरोनावायरस के इलाज का टीका विकसित

कोरोनावायरस के इलाज का टीका विकसित, वैज्ञानिक कर सकते हैं घोषणा

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नई दिल्ली। इस्राइल के वैज्ञानिकों ने कोरोनावायरस का इलाज करने के लिए टीका विकसित कर लिया है। इसकी घोषणा वैज्ञानिक जल्द कर सकते हैं।

इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयोलोजिकल रिसर्च ने कोरोनावायरस की जैविक कार्यप्रणाली और उसकी विशेषताएं समझने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की

हाल ही में इस्राइल के अखबार हारेज ने मेडिकल सूत्रों के हवाले से गुरुवार को खबर दी कि प्रधानमंत्री कार्यालय के तहत आने वाले इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयोलोजिकल रिसर्च ने इस विषाणु की जैविक कार्यप्रणाली और उसकी विशेषताएं समझने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इन विशेषताओं में नैदानिक क्षमता, इस विषाणु की चपेट में आ चुके लोगों के वास्ते एंटीबॉडीज (प्रतिरक्षी) के उत्पादन और टीके के विकास आदि शामिल हैं।

टीके को उपयोग के लिए प्रभावी और सुरक्षित समझे जाने से पहले विकास की प्रक्रिया से गुजरने के दौरान कई परीक्षण करने होंगे

इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हालांकि इस टीके को उपयोग के लिए प्रभावी और सुरक्षित समझे जाने से पहले विकास की प्रक्रिया से गुजरने के दौरान कई परीक्षण करने होंगे जिनमें महीनों लग सकते हैं। इसके साथ ही इस्राइल के रक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में पूछे गए सवालों पर इसकी पुष्टि नहीं की है।

संस्थान का कामकाज व्यवस्थित कार्ययोजना के मुताबिक चलता है और उसमें वक्त लगेगा

रक्षा मंत्रालय ने यह जरूर कहा कि कोरोनावायरस के लिए टीके या परीक्षण किट्स के विकास के संदर्भ में इस बॉयोलोजिकल इंस्टीट्यूट के प्रयासों में कोई उपलब्धि हासिल नहीं हुई है। संस्थान का कामकाज व्यवस्थित कार्ययोजना के मुताबिक चलता है और उसमें वक्त लगेगा। यदि और जब भी कुछ बताने लायक होगा, निश्चित व्यवस्था के तहत ऐसा किया जाएगा।

संस्थान में विषाणु का चिकित्सकीय उपचार विकसित करने में 50 से ज्यादा अनुभवी वैज्ञानिक जुटे

मंत्रालय ने यह भी कहा कि यह बॉयोलोजिकल संस्थान विश्व विख्यात अनुसंधान एवं विकास एजेंसी है। जो अनुभवी शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों व उत्तम बुनियादी ढांचे पर निर्भर करती है। संस्थान में विषाणु का चिकित्सकीय उपचार विकसित करने में 50 से ज्यादा अनुभवी वैज्ञानिक जुटे हुए हैं।

नेस जियोना में इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयोलोजिकल रिसर्च को इस्राइल के रक्षा बल विज्ञान कोर के तहत 1952 में स्थापित किया

बता दें कि नेस जियोना में इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयोलोजिकल रिसर्च को इस्राइल के रक्षा बल विज्ञान कोर के तहत 1952 में स्थापित किया गया था। इसके बाद में वह असैन्य संगठन बन गया। अखबार के मुताबिक तकनीकी तौर पर यह संस्थान प्रधानमंत्री कार्यालय के निगरानी में है, लेकिन यह रक्षा मंत्रालय से करीबी संवाद रखता है।

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प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने संस्थान को एक फरवरी को कोविड-19 का टीका विकसित करने के लिए कहा

बताया जाता है कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने संस्थान को एक फरवरी को कोविड-19 का टीका विकसित करने के लिए कहा था। रिपोर्ट के अनुसार ऐसे किसी भी टीके को विकसित करने की सामान्य प्रक्रिया में चिकित्सकीय परीक्षण से पहले जानवरों पर परीक्षण की लंबी प्रक्रिया से गुजरना होता है। ताकि संबंधित दवा के दुष्प्रभावों के बारे में अध्ययन किया जा सके।

अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोनावायरस को लेकर वैश्विक स्तर पर जिस तरह की आपात स्थिति है उसे देखते हुए लग रहा है कि इस प्रक्रिया में तेजी आ सकती है क्योंकि बहुत सारे लोगों पर इस विषाणु का खतरा मंडरा रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि टीके के विकास में कुछ महीने से लेकर डेढ़ साल तक का लगता है वक्त 

इस्राइल के मीडिया संस्थान पोर्ट वाईनेट ने करीब तीन सप्ताह पहले खबर दी थी कि जापान, इटली और अन्य देशों से कोरोनावायरस नमूनों के पांच खेप पहुंची हैं। उन्हें रक्षा मंत्रालय के विशेष रूप से सुरक्षित कूरियर में इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयोलोजिकल रिसर्च में लाया गया। उन्हें शून्य से नीचे 80 डिग्री के तापमान पर रखा गया है। तब से ही विशेषज्ञ टीका विकसित करने में जुटे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि टीके के विकास में कुछ महीने से लेकर डेढ़ साल तक का वक्त लगता है।

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