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यूपी के गांवों में कहर बरपा रहा corona

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यूपी के ग्रामीण इलाकों में कोरोना (Corona) की दहशत चरम पर है। गांवों में कोरोना (Corona) संक्रमण की हालत यह है कि  बुखार आता है। सांस फूलती है और एक-दो दिन में ही संक्रमित मरीज का काम तमाम हो जाता है।  इलाहाबाद हाईकोर्ट भी इसे  लेकर चिंतित है। कोर्ट ने सोमवार को ही सरकार को हर जिले में 20 एंबुलेंस और हर गांव में 2 एंबुलेंस तैनात करने का आदेश दिया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी सुविधाएं बढ़ाने को कहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार गोरखपुर, अमेठी, कानपुर, बुलंदशहर और बागपत जिले के 6 बड़े गांवों में एकमाह में  145 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। इनमें ज्यादातर को बुखार आया था। लोगों ने सांस फूलने की शिकायत की और एक से दो दिन में ही उनकी जान चली गई।

गोरखपुर के संग्रामपुर ग्राम  में पिछले 20 दिनों में 35 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। यहां न तो टेस्टिंग हो रही है और न ही कोरोना (Corona)  का इलाज किया जा रहा है। 60 हजार की आबादी वाले इस इलाके के लोग दहशत में हैं।

गांव के हरिशंकर सिंह बताते हैं कि यहां मरने वालों को पहले बुखार आता है, फिर खांसी शुरू होती है और मरीज की सांस फूलने लगती है। जब तक इलाज के लिए ले जाते हैं उनकी मौत हो जाती है।

उनवल की प्रधानाध्यापिका रहीं 50 साल की सुधा पांडेय, 55 साल की सुधा चौधरी, 67 साल के परशुराम गुप्ता, 70 साल के विदेश चौहान और एक अन्य की मौत एक ही दिन हुई। अगले ही दिन वार्ड नंबर 9 के रहने वाले 90 साल के शंकर यादव, 60 साल के जमशेद, वार्ड नंबर 4 के तिवारी टोला के 25 साल के अंगद त्रिपाठी, वार्ड नंबर 4 की 60 साल की सुभावती निषाद, वार्ड नंबर 11 के 62 साल के महेश गौड़, वार्ड नंबर एक के 60 साल के रामलखन की मौत हो गई।

गांववाले बताते हैं कि यह इलाका यूपी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह के करीबियों का है। फिर भी यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ताला लगा रहता है।

एक्जीक्यूटिव आॅफिसर  मनोज श्रीवास्तव बताते हैं कि पंचायत चुनाव के बाद यहां कई लोगों की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य केंद्र अभी फार्मासिस्ट चलाते हैं, क्योंकि डॉक्टर की पोस्टिंग नहीं हुई है।

वहीं  कानपुर के टिकरा गांव में में अब तक 17 लोगों  की कोरोना (Corona) संक्रमण के चलते मौत हो गई है।  लोग घरों से निकलने में भी डर रहे हैं। पहली मौत 15 अप्रैल को हुई थी। 4,700 आबादी वाले इस गांव में हर दिन किसी न किसी की जान जा रही है। इन मौतों के बाद गांव में दहशत है। स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन अब तक इस गांव में नहीं पहुंचा है। यहां हर दूसरे-तीसरे घर में किसी न किसी को बुखार और खांसी हो रही है।

प्रधान निशा शुक्ल बताती हैं कि कई बार स्वास्थ्य विभाग और जिलाधिकारी कार्यालय में गांव के हालात के बारे में सूचना दी, लेकिन अभी तक कोई नहीं आया।

अमेठी के मुसाफिरखाना तहसील के दादरा गांव और अमेठी तहसील के टीकर माफी गांव में इन दिनों सन्नाटा पसरा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, अब तक दोनों गांवों में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। फिर भी यहां न दवाई है, न जांच है और न ही सैनिटाइजेशन। दादरा गांव के अमर बहादुर सिंह बताते हैं कि इतनी मौतों के बाद भी यहां न तो सैनिटाइजेशन हुआ और न ही कोई टेस्टिंग। गांव वाले कहते हैं कि कई बार यहां स्वास्थ्यकर्मी आए, लेकिन घूमकर वापस चले जाते हैं।

प्रधान प्रतिनिधि संदीप सिंह बताते हैं कि इस गांव में कोरोना के दौर में 30 से 35 लोगों की मौत हुई है। इनमें से 70-80 फीसदी बुजुर्ग थे और उन्हें पहले से बीमारियां थीं।

अमेठी तहसील से 10 किलोमीटर दूर भादर ब्लॉक में 24 लोगों की मौत हुई है। इनमें से 14 मौत इस ब्लॉक के टीकरमाफी गांव में ही हुई हैं।

वहीं, बागपत के तमेलागढ़ी में पिछले 30 दिन में 20मौत होने से हड़कंप मचा हुआ है। 7,000 की आबादी वाले इस गांव में 800 परिवार रहते हैं। ये गांव बागपत, मुजफ्फरनगर और मेरठ की सीमाओं से लगा हुआ है। ग्राम प्रधान राजीव का कहना है कि यहां करीब 150 लोगों को बुखार है। बीते 30 दिनों में 20 लोगों की मौत हो चुकी है।

बुलंदशहर के कुंवरपुर गांव में 15 दिन के अंदर 28 लोगों की मौत हो चुकी है। गांव वालों का आरोप है यहां स्वास्थ्य विभाग कोई जांच नहीं कर रहा, इसलिए पता भी नहीं चल रहा कि किसे कोरोना (Corona)  है, किसे नहीं है। गांव की शगुन ने बताया कि हमारे गांव में 30 साल के लोग ज्यादा संक्रमित हैं। ज्यादातर लोगों की मौत हो रही है।

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