Marriage Registration in up

विवाह हो या निकाह, यूपी में कराना होगा का पंजीकरण !

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विवाह पंजीकरण (Marriage Registration) कराना अब अनिवार्य होगा। राज्य विधि आयोग (State law commission) ने सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के आदेश समेत कई राज्यों में इस तरह के प्रावधान होने का हवाला देते हुए यूपी में भी ऐसे कानून बनाए जाने की सिफारिश की है।

उत्तर प्रदेश राज्य विधि (State law commission) आयोग के चेयरमैन जस्टिस मित्तल (Justice Mittal) ने गुरुवार को सीएम योगी को इस संबंध में रिपोर्ट सौंपी। सरकार अगर इसे कानून का रूप देती है तो यह सभी धर्मों पर लागू होगा।

‘साक्ष्य के अभाव में महिलाएं अपने अधिकार से रह जाती हैं वंचित’

सीएम योगी (CM Yogi) को लिखे पत्र में जस्टिस एएन मित्तल ने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण, उनके स्वाभिमान की रक्षा, आत्मसम्मान बढ़ाने एवं सुरक्षा प्रदान करने के लिए वर्तमान राज्य सरकार दृढ़ संकल्पित है। उन्होंने सरकार को अवगत कराया कि प्रदेश में ऐसे अनेक मामले सामने आ रहे हैं, जहां दाम्पत्य संबंधी विवाद होने पर पुरुष वर्ग महिला को अपनी पत्नी मानने से ही इनकार कर देता है। इससे वह भरण-पोषण और संपत्ति में हिस्से से वंचित हो जाती हैं।

सभी धर्मों पर लागू होगा कानून

वर्तमान में उत्तर प्रदेश में विवाह का पंजीकरण  (Marriage Registration) कराने की अनिवार्यता संबंधी कोई अधिनियम नहीं है। विवाह का पंजीकरण न होने से महिलाओं के पास कोई साक्ष्य नहीं होता है। साक्ष्य के अभाव में वह कानूनी अधिकार से वंचित रह जाती है। विवाह पंजीकरण से बाल विवाह को प्रतिषेध करना भी सुनिश्चित हो सकेगा।

जस्टिस मित्तल ने कहा कि इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय ने भी सभी राज्यों को यह निर्देश दिया है कि वह अपने-अपने राज्यों में विवाह के अनिवार्य पंजीकरण के संबंध में अलग से कानून बना। भारत के विधि आयोग ने भी अपने प्रतिवेदन संख्या-270 में इस बात पर बल दिया है कि भारत में विवाहों का अनिवार्य पंजीकरण होना चाहिए. राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी विवाहों के अनिवार्य पंजीकरण के लिए संस्तुति की है।

अध्ययन के बाद तैयार किया गया प्रारूप

पत्र में लिखा है कि राजस्थान, तेलंगाना, त्रिपुरा, पंजाब, मेघालय, तमिलनाडु, झारखंड, हरियाणा, दिल्ली और उत्तराखंड जैसे राज्यों ने इन विषयों पर अलग से कानून बनाया है। राज्य विधि आयोग ने अंतर्राष्ट्रीय निर्देश, सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय, इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्णय और राज्यों के कानूनों का गहन परीक्षण करने के उपरांत इस बात की आवश्यकता महसूस की कि यूपी में भी इस विषय पर अलग से कानून होना चाहिए। इलाहाबाद हाई कोर्ट अभी भी इस संबंध में राज्य सरकार को निर्देशित कर रहा है और लगातार इसकी सुनवाई भी जारी है।

सभी धर्म और संप्रदाय पर लागू होगा कानून

जस्टिस मित्तल ने कहा कि 2006 में सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों को इस तरह के कानून बनाने का निर्देश दिया था। बहुत बार पारिवारिक विवाद में यह बात सामने आई है कि पत्नी को यह साबित करने में कठिनाई आती है कि वह उक्त व्यक्ति की पत्नी है।

उत्तर प्रदेश राज्य ने वर्ष 1973 में हिंदू मैरिज रजिस्ट्रेशन रूल बनाया था, लेकिन वह कानून केवल हिंदू विवाह पर ही लागू होता है जबकि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि सभी शादियों का पंजीकरण होना चाहिए, फिर चाहे वह जिस भी धर्म की शादी हो। नए कानून के तहत सभी शादियों का पंजीकरण कराना अनिवार्य किया जाएगा।

ऐसे करा सकते हैं पंजीकरण

जस्टिस मित्तल ने कहा कि शादी का रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भी बहुत सरल कर दी गई है। एक प्रोफार्मा दिया जा रहा है. उसमें पति और पत्नी हस्ताक्षर करके विवाह अधिकारी को भेजेंगे। इसके बाद विवाह अधिकारी के सामने जाकर इसकी पुष्टि करनी होगी। इसमें ऑनलाइन पंजीकरण की भी व्यवस्था की गई है। ऑनलाइन व्यवस्था के साथ-साथ तत्काल पंजीकरण की व्यवस्था भी है। तत्काल व्यवस्था उनके लिए है, जो युवक या युवती दूसरे देश के नागरिक के साथ विवाह करते हैं और उन्हें बाहर जाना होगा। ऐसे में उन्हें तत्काल पंजीकरण कराने में आसानी होगी। यह पंजीकरण बिल्कुल तत्काल पासपोर्ट की तरह होगा।

गैर कानूनी धर्मांतरण पर भी आयोग ने सौंपी थी रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने नवंबर 2019 में गैर कानूनी धर्मांतरण के विषय पर अध्ययन करने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) को रिपोर्ट सौंपी थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन कानून’ बनाया था।

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