Dr. Munishwar Gupta

एमडी का शोध प्रबंध हिंदी में लिखने वाले पहले भारतीय छात्र डॉ. मुनीश्वर गुप्त की दो टूक

1130 0

प्रखर राष्ट्रभक्त  और  हिंदी हित रक्षक  समिति के संस्थापक सदस्यों में से एक डॉ. मुनीश्वर गुप्त  (Dr. Munishwar Gupta) लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विद्यार्थी परिषद एवं स्वदेशी जागरण मंच में सक्रिय रहे हैं। आगरा के सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज में एमडी की पढ़ाई करते हुए अपना शोध प्रबंध हिंदी में लिखने के लिए उन्होंने 1987 में देशव्यापी संघर्ष छेड़ दिया था, लंबी लड़ाई के बाद उन्होंने सफलता पाई थी। यह हिंदी में दुनिया का पहला चिकित्सा शोध पत्र था।

एमबीबीएस एवं बीडीएस की कुल 1600 सीटों (जो कुल सीटों का 15 प्रतिशत थी) में हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं को वैकल्पिक माध्यम बनाने के लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर कर एैतिहासिक जीत दर्ज की थी।  ‘हिंदी से न्याय’ इस देशव्यापी अभियान के केंद्रीय अधिष्ठाता मंडल में सम्मिलित डॉ. मुनीश्वर  गुप्त  कोविड महामारी के  दौरान ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों पर  संसद में  मोदी सरकार के बयान से असहज हैं। संघ के  समर्पित स्वयंसेवक रहे डॉ. मुनीश्वर ने  सरकार को झूठ न बोलने की नसीहत देते हुए कहा कि सच बोलने से सरकार गिर नहीं जाएगी। उन्होंने इसे सबसे बेशर्म समय बताते हुए कहा है कि यदि स्वास्थ्यकर्मियों  में निराशा छा गई तो कोई रास्ता नहीं बचेगा।

डॉ. मुनीश्वर (Dr. Munishwar Gupta) ने अपने फेसबुक  पेज पर लिखा है कि इतना भी झूठ बोलना ठीक नहीं है। इतना भी मत डराइए डॉक्टरों को। महामारी है यह , व्यक्ति को औकात बताने के लिए आती है। संसद में कहा जाएगा कि ऑक्सीजन की कमी से कोई भी मौत नहीं हुई है। हिसार की डिप्टी कमिश्नर  प्रियंका सोनी ने कह दिया कि ऑक्सीजन की कमी नहीं थी।

डॉक्टर ने अस्पताल में ज्यादा मरीज भर रखे थे। इतना बेशर्म समय  हमने नहीं देखा। इन लोगों ने पौने दो लाख वेंटिलेटर खरीदे क्योंकि कुछ भी खरीदने में पैसा बनता है। उन्होंने यह नहीं सोचा कि  इनके लिए ऑक्सीजन का इंतजाम कैसे होगा? पृथकवास केंद्र से लेकर आज दिन तक प्रशासनिक अधिकारी अलग-अलग तरीके से पैसा बनाने में लगे हुए हैं। निश्चित तौर पर कुछ डॉक्टरों ने भी  अपनी  मूल सेवा भावना का स्मरण नहीं रखा। फिर भी कोई यह कहे कि गलती सिर्फ डॉक्टरों की है  तो निश्चय ही  हम किसी बड़ी परेशानी को आमंत्रित कर रहे हैं।

उन्होंने लिखा है कि  जिस सुप्रीम कोर्ट में अनेक चीफ जस्टिस अपने आखिरी  दिन ऐसे बड़े-बड़े निर्णय दे गए जिसके पीछे भ्रष्टाचार की बू आती है, वह भी सिर्फ डॉक्टरों को ही गलत कह रहा है। अस्पतालों को ही गलत कह रहा है। सही बात यह है कि सब तरफ पैसा कमाने के  लिए आपदा में अवसर वाला माहौल चल रहा है। सोचकर देखिए- यदि डॉक्टरों और मेडिकल स्टॉफ में बहुत ज्यादा निराशा छा गई, तब कोई रास्ता नहीं बचेगा। बीमारी अभी हमारे बगल के देश म्यांमार, वियतनाम, इंडोनेशिया और मलेशिया में फिर से सिर उठा रही है। लड़ाई चिकित्सक और चिकित्सक के सहयोगी स्टॉफ के बल पर ही  लड़ी जा सकती है। अभी भी एकमात्र रास्ता  यही है कि संसद में सच बोला जाए।

इस बात को स्वीकारने में कोई बड़ी मानहानि नहीं हो जाएगी। किसी  भी  आपदा में , महामारी में किसी भी ऐसी चीज की कमी पड़ सकती है जिसे फैक्ट्री अथवा प्लांट में बनाया जाता है। चाहे वह ऑक्सीजन हो या दवाई।  इसकी कमी को स्वीकारने से  सरकार गिर नहीं जाएगी। अनेक सांसद भी इस बीमारी में मारे गए हैं। उनके लिए श्रद्धांजलि दी गई है। जो लोग पूरे देश में मारे गए हैं, उनके लिए श्रद्धांजलि देकर उनके परिवारों के प्रति सरकार यदि संवेदना व्यक्त कर दे, तब यह सरकार रोज-रोज के झूठ बोलने से बच सकती है।

Related Post

जजों को ‘भारत रत्न’

बीजेपी विधायक ने की मांग, अयोध्या का फैसला सुनाने वाले जजों को मिले ‘भारत रत्न’

Posted by - November 12, 2019 0
बलिया। बीजेपी के विधायक सुरेन्द्र सिंह ने अयोध्या मामले में फैसला देने वाले सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों को भारत…
आनंद शर्मा

मानवता पर हो रही है चोट, जिसे हिंदुस्तान स्वीकार नहीं करेगा : आनंद शर्मा

Posted by - December 26, 2019 0
नई दिल्ली। कांग्रेस ने नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर(एनपीआर), नागरिकता संशोधन अधिनियम(सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर(एनआरसी) को लेकर सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार…
अमित शाह

नागरिकता संशोधन कानून के नाम पर देश में दंगे भड़का रही है कांग्रेस: अमित शाह

Posted by - December 14, 2019 0
रांची। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर कांग्रेस के पेट में दर्द हो…