Supreme Court on Corona Cases

राष्ट्रीय संकट पर मूक दर्शक बने नहीं रह सकते : सुप्रीम कोर्ट

446 0

नयी दिल्ली।  कोविड-19 मामलों में बेतहाशा वृद्धि को राष्ट्रीय संकट बताते हुए उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने मंगलवार को कहा कि वह ऐसी स्थिति में मूक दर्शक बना नहीं रह सकता। साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कोविड-19 के प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय नीति तैयार करने पर उसकी स्वत: संज्ञान सुनवाई का मतलब उच्च न्यायालय के मुकदमों को दबाना नहीं है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय (Supreme Court) क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर महामारी की स्थिति पर नजर रखने के लिए बेहतर स्थिति में है और उच्चतम न्यायालय पूरक भूमिका निभा रहा है तथा उसके   हस्तक्षेप को सही परिप्रेक्ष्य में समझना चाहिए   क्योंकि कुछ मामले क्षेत्रीय सीमाओं से भी आगे हैं। पीठ ने कहा कि कुछ राष्ट्रीय मुद्दों पर शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप की आवश्यकता है क्योंकि कुछ मामले राज्यों के बीच समन्वय से संबंधित हो सकते हैं।

यूपी में कोरोना से 265 और मौतें, 32,993 नए मामले

पीठ ने कहा कि  हम पूरक भूमिका निभा रहे हैं, अगर उच्च न्यायालयों (Supreme Court) को क्षेत्रीय सीमाओं के कारण मुकदमों की सुनवाई में कोई दिक्कत होती है तो हम मदद करेंगे। उच्चतम न्यायालय की ये टिप्पणियां महत्वपूर्ण हैं क्योंकि कुछ वकीलों ने महामारी के मामलों के फिर से बढ़ने पर पिछले बृहस्पतिवार को स्वत: संज्ञान लेने पर शीर्ष अदालत की आलोचना की थी और कहा था कि उच्च न्यायालयों को सुनवाई करने देनी चाहिए। इसके एक दिन बाद 23 अप्रैल को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े ने कुछ वकीलों की   अनुचित   आलोचना पर कड़ी आपत्ति जताई थी।

पीठ ने कोविड-19 टीकों की अलग-अलग कीमतों पर वरिष्ठ वकील विकास सिंह समेत वकीलों की दलीलों पर भी मंगलवार को गौर किया और केंद्र को अलग-अलग कीमतों के पीछे के   तर्क और आधार   के बारे में उसे बताने के लिए कहा।

कुंभ के आखिरी शाही स्नान पर दिखा कोरोना का असर

18 वर्ष से अधिक की आयु के सभी नागरिकों को टीका लगाने के सरकार के फैसले पर अदालत ने बृहस्पतिवार तक राज्यों से जवाब देने के लिए कहा कि वे टीकों की मांग बढ़ने और इसके लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की जरूरत से कैसे निपटेंगे। पीठ ने केंद्र से राज्यों को टीकों के साथ-साथ आॅक्सीजन वितरण करने और निगरानी व्यवस्था की रूपरेखा के बारे में भी बताने के लिए कहा।

वीडियो कांफ्रेंस के जरिए हुई सुनवाई में शीर्ष अदालत ने कोविड-19 प्रबंधन मामले में उसकी मदद के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता और मीनाक्षी अरोड़ा को न्याय मित्र भी नियुक्त किया। इससे पहले, इस मामले में वरिष्ठ साल्वे को न्याय मित्र नियुक्त किये जाने पर कुछ अधिवक्ताओं की विवादित टिप्पणियों के मद्देनजर उन्होंने यह जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया था।

Related Post

महंत आशीष गिरी ने की आत्महत्या

महंत आशीष गिरी ने निरंजनी अखाड़े में की आत्महत्या, आश्रम में मचा हड़कंप

Posted by - November 17, 2019 0
प्रयागराज । प्रयागराज के दारागंज स्थित निरंजनी अखाड़े के आश्रम में रविवार को महंत आशीष गिरी ने आत्महत्या कर ली…