Bijapur_Naxal_Attack

नक्सलियों के खिलाफ तेज हो जंग

1085 0

सियाराम पांडे शांत

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की समीक्षा बैठक में माओवादियों के विरुद्ध ‘युद्ध’ को अधिक तीव्र करने का निर्णय लिया गया। दो अप्रैल की रात को कोबरा कमांडो के साथ सीआरपीएफ और छत्तीसगढ़ के लगभग 2000 जवान सुकमा व बीजापुर जिलों की सीमा के निकट तेकुलगुडा के घने जंगलों में काफी अंदर तक गये, इस इंटेलिजेंस सूचना के साथ कि वहां पर बड़ी संख्या में माओवादी अपनी बैठक करने हेतु एकत्र हैं। जवान पूरी तैयारी के साथ गये थे। वह मोर्टार व अन्य आधुनिक हथियारों से लैस थे और ड्रोनों के जरिये आशंकित माओवादी एम्बुश पार्टियों पर भी नजर रखी जा रही थी। लेकिन जब जवान बतायी गई जगह पर पहुंचे तो तेकुलगुडा में सभी 50-60 मकान एकदम खाली पड़े थे। जवानों को माओवादियों ने पूरी तरह से घेर लिया था। फिर क्या था, घने जंगल में लगभग चार घंटों तक ‘जबरदस्त युद्ध’ हुआ, जिसमें माओवादियों की तरफ से भी देसी-मोर्टार प्रयोग किये गये।

इस भयंकर व दिल दहला देने वाली घटना में 23 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 33 गंभीर रूप से घायल हैं। एक कोबरा कमांडो को नक्सलियों ने बंधक बना लिया जिसे कई बाद छोड़ दिया। इस ‘मुठभेड़’ के बाद जब 4 अप्रैल 2021 को राहत बल घटनास्थल पर पहुंचा तो उसे घायल जवान मिले, जिन्होंने लावारिस पड़ी झोंपड़ियों में शरण ली हुई थी। घायल जवानों पर चाकुओं व कुल्हाड़ियों से भी हमले किये गये थे। जवानों को घेरने के बाद, माओवादियों ने अपने सुरक्षित ठिकानों से पहले ब्लास्ट किये और फिर गोलियों व शैलों की बारिश कर दी, जिससे जवानों को भारी नुकसान पहुंचा। इस ‘मुठभेड़’ में शामिल एक जवान का कहना है कि 400 से अधिक माओवादियों ने उन पर तीन तरफ से हमला बोला।  यह ‘मुठभेड़’ तेकुलगुडा गांव के निकट 2 किमी दूर तक फैल गई।

 

घेराबंदी से बाहर निकलने के लिए जवानों ने जवाबी कार्यवाही की व सुरक्षित पोजीशन लेना का प्रयास किया तो जोनागुडा व जीरागांव गांवों में भी गोलीबारी हुई। कुछ जवान अपने घायल साथियों को लेकर ‘वीरान पड़े’ तेकुलगुडा गांव में लेकर गये तो वह भी माओवादियों का ‘जाल’ ही था, वहां छुपे माओवादियों ने घायल जवानों पर खंजरों से हमला किया। बहरहाल, सीआरपीएफ के महानिदेशक कुलदीप सिंह का कहना है, सुरक्षा बलों ने माओवादी कैडर को भारी नुकसान पहुंचाया है, जो अपने मृतकों व घायलों को चार ट्रैक्टर-ट्राली में उठाकर ले गये। साथ ही जबरदस्त गर्मी में भी लगभग दस किमी का क्षेत्र कवर करते हुए सुरक्षा बल न सिर्फ अपने शहीद व घायल सैनिकों को वापस लाने में सफल रहे बल्कि अपने हथियारों को भी रिकवर किया। एक महिला माओवादी का शव भी बरामद किया है।

केरल के कोझिकोड में एयर इंडिया एक्सप्रेस की उड़ान ने की इमरजेंसी लैंडिंग

हां, हमें नुकसान पहुंचा है, लेकिन हमारे जवान चार घंटे तक बहादुरी से लड़ते रहे। यह विराम तक का युद्ध है। यह आरोप लगाना गलत है कि चूक या नाकामी से हमें भारी नुकसान हुआ है, यह हमारे जवानों की क्षमता को कम करके आंकना होगा, जो माओवादियों के गढ़ में घुसकर उन्हें मात दे रहे हैं। लेकिन जो स्थानीय लोग राहत दल से पहले मौका-ए-वारदात पर पहुंचे, उनका कहना है कि सुरक्षा बलों के खून से सने हुए शव एक किमी से भी अधिक क्षेत्र में बिखरे पड़े थे, जीवन के लिए उनके हताश संघर्ष के चिन्ह स्पष्ट देखे जा सकते थे। गोली व चाकू लगे शव खुले मैदान में व तेकुलगुडा की झोंपड़ियों में मिले। कुछ शवों पर पतलूनें नहीं थीं। ग्रामीणों के अनुसार, माओवादियों ने पहाड़ियों के ऊपर, मैदान में और गांव के भीतर कुछ जगहों पर फायरिंग की पोजीशन बनायी हुई थीं।

 

इसके बावजूद कुलदीप सिंह का कहना है कि यह घटना इंटेलिजेंस फेलियर के कारण नहीं हुई है। आप जरा सोचिए कि सुरक्षा बल यह इंटेलिजेंस सूचना मिलने पर कि माओवादियों की बैठक हो रही है, पूरी तैयारी और बड़ी संख्या में जंगल के भीतर प्रवेश करते हैं और वहां माओवादियों के बिछाए हुए जाल में फंस जाते हैं, तो यह इंटेलिजेंस की नाकामी नहीं तो और क्या है? फिर इससे भी बड़ा सवाल यह है कि जून 2013 में झिरम घाटी में कांग्रेस नेताओं के कत्लेआम के बाद से जो भी प्रमुख माओवादी हमला हुआ है, उसमें माडवी हिडमा का नाम ही प्रमुखता से आया है, लेकिन पुलिस को आज तक यह नहीं मालूम है कि हिडमा दिखायी कैसा देता है, उसके पास केवल तस्वीरों का एक बंडल है जिसमें से शायद कोई एक तस्वीर हिडमा की हो सकती है।

राहुल पर प्रसाद का हमला: कहा- कांग्रेस शासित राज्यों में टीके की नहीं बल्कि प्रतिबद्धता की कमी

यह इंटेलिजेंस की नाकामी नहीं तो और क्या है? तीसरा यह कि माओवादी हर साल मार्च व जून के बीच अपनी रणनीति के तहत सुरक्षा बलों पर टार्गेटेड स्ट्राइक करते हैं। यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है। इन वार्षिक स्ट्राइकों, जिन्हें टीसीओसी (टैक्टिकल काउंटर ओफ्फेंसिव कैंपेन) कहा जाता है, को रोकने के लिए सुरक्षा बलों के अपने आॅपरेशंस हैं, लेकिन इसके बावजूद हर साल यह हमले निरंतरता से हो रहे हैं, तो यह इंटेलिजेंस की नाकामी नहीं तो और क्या है?

Related Post

CM Vishnu Dev Sai

सशक्त और विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण की दिशा में हम बढ़ रहे आगे : मुख्यमंत्री साय

Posted by - January 26, 2025 0
रायपुर। छत्तीसगढ़ में गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। हर तरफ देश का तिरंगा लहरा रहा है।…

यूट्यूब चैनलों के कंटेंट पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता, कहा- ये कुछ भी चला दे रहे हैं

Posted by - September 2, 2021 0
देश में लगातार बढ़ते वेब पोर्टल एवं यूट्यूब चैनलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए कहा- ये…
Priya Prakash Srivastava

यूपीपीएससी परीक्षा में झांसी की बेटी प्रिया प्रकाश श्रीवास्तव का एपीओ पद पर चयन

Posted by - December 12, 2020 0
झांसी। झांसी की बेटी प्रिया प्रकाश श्रीवास्तव (Priya Prakash Srivastava) उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की वर्ष 2020 की…