Kalpavas

माघ पूर्णिमा पर संगम स्नान के साथ पूरा होगा महाकुम्भ का कल्पवास

104 0

महाकुम्भ नगर। महाकुम्भ (Maha Kumbh) में व्रत, संयम और सतसंग का कल्पवास (Kalpavas) करने का विशिष्ट विधान है। इस वर्ष महाकुम्भ में 10 लाख से अधिक लोगों ने विधिपूर्वक कल्पवास किया है। पौराणिक मान्यता है कि माघ मास पर्यंत प्रयागराज में संगम तट पर कल्पवास करने से सहत्र वर्षों के तप का फल मिलता है। महाकुम्भ में कल्पवास करना विशेष फलदायी माना जाता है। परंपरा के अनुसार 12 फरवरी, माघ पूर्णिमा के दिन कल्पवास की समाप्ति हो रही है। सभी कल्पवासी विधि पूर्वक पूर्णिमा तिथि पर पवित्र संगम में स्नान कर कल्पवास का पारण करेंगे। पूजन और दान के बाद कल्पवासी अपने अस्थाई आवास त्याग कर पुनः अपने घरों की ओर लौटेंगे।

12 फरवरी को माघ पूर्णिमा की तिथि पर पूरा हो रहा है कल्पवास (Kalpavas) 

आस्था और आध्यात्म के महापर्व, महाकुम्भ में कल्पवास (Kalpavas) करना विशेष फलदायी माना जाता है। इस वर्ष महाकुम्भ में देश के कोने-कोने से आये लोग संगम तट पर कल्पवास कर रहे हैं। शास्त्र अनुसार कल्पवास की समाप्ति 12 फरवरी, माघ पूर्णिमा के दिन होगी। पद्मपुराण के अनुसार पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा एक माह संगम तट पर व्रत और संयम का पालन करते हुए सत्संग का विधान है। कुछ लोग पौष माह की एकादशी से माघ माह में द्वादशी के दिन तक भी कल्पवास करते हैं।

12 फरवरी के दिन कल्पवासी पवित्र संगम में स्नान कर कल्पवास के व्रत का पारण करेंगे। पद्म पुराण में भगवान द्तात्रेय के बनाये नियमों के अनुसार कल्पवास (Kalpavas) का पारण किया जाता है। कल्पवासी संगम स्नान कर अपने तीर्थपुरोहितों से नियम अनुसार पूजन कर कल्पवास व्रत पूरा करेंगे।

कल्पवास (Kalpavas) के बाद कथा, हवन और भोज कराने का है विधान

शास्त्रों के अनुसार कल्पवासी माघ पूर्णिमा के दिन संगम स्नान कर, व्रत रखते हैं। इसके बाद अपने कल्पवास (Kalpavas) की कुटीरों में आकर सत्यनारायण कथा सुनने और हवन पूजन करने का विधान है। कल्पवास का संकल्प पूरा कर कल्पवासी अपने तीर्थपुरोहितों को यथाशक्ति दान करते हैं। साथ ही कल्पवास के प्रारंभ में बोये गये जौं को गंगा जी में विसर्जित करेंगे और तुलसी जी के पौधे को साथ घर ले जायेंगे।

तुलसी जी के पौधे को सनातन परंपरा में मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है। महाकुम्भ में बारह वर्ष तक नियमित कल्पवास (Kalpavas) करने का च्रक पूरा होता है। यहां से लौट कर गांव में भोज कराने का विधान, इसके बाद ही कल्पवास पूर्ण माना जाता है।

Related Post

सिमरन निशा

लखनऊ: महिला रंगकर्मी सिमरन निशा ने जानें कैसे तय किया थिएटर से स्क्रीन तक का सफर?

Posted by - December 1, 2019 0
लखनऊ। रंगमंच सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि प्रतिभा है। यह चेहरा नहीं किरदार देखता है। महिलाओं को इसे आत्मसात करके मंच…
CM Yogi

रुद्राभिषेक कर सीएम योगी ने की चराचर जगत के कल्याण की कामना

Posted by - April 20, 2025 0
गोरखपुर। गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने रविवार सुबह गोरखनाथ मंदिर में रुद्राभिषेक कर भगवान भोलेनाथ से प्रदेशवासियों…
death by corona

सरस्वती मेडिकल कॉलेज में एक साथ नौ संक्रमितों की मौत, परिजनों ने काटा हंगामा

Posted by - April 21, 2021 0
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उन्नाव स्थित सरस्वती मेडिकल कॉलेज (Saraswati Medical College) में बुधवार को कोरोना से नौ लोगों की…