केदारनाथ : यहां नहीं टेका मत्था तो अधूरा माना जाएगा बाबा भोले का दर्शन

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डेस्क।  केदानाथ धाम के पट खुल चुके हैं। मंदिर को काफी चमत्कारी माना जाता है।ऐसा ही एक चमत्कार हुआ था साल 2013 में। जब जल आपदा में तीर्थयात्रियों समेत सबकुछ सर्वनाश हो गया था उस समय मंदिर को बिलकुल भी क्षति नहीं पहुंची थी। मंदिर के चमत्कार का ही प्रभाव है कि हर साल कपाट खुलने के बाद बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों का जत्था भोलेनाथ के दर्शन के लिए रवाना होता है। इन जगहों पर मत्था टेकना न भूलें क्योंकी इन जगहों पर दर्शन किए बिना आपकी केदारनाथ यात्रा अधूरी मानी जाएगी।

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आपको बता दें केदारनाथ मंदिर के पीछे स्थित इस कुंड में केदारनाथ के अभिषेक  का जल रहता है। कहा जाता है कि यह जल अमृत तुल्‍य है। यही वजह है कि यहां आने वाले श्रद्धालु इस अमृतमयी जल को पीते  हैं। मान्यता है यह भी है कि अमृत कुंड के जल से लोगों की त्‍वचा संबंधी बीमारियां भी दूर हो जाती हैं। सनात धर्म में अमृत कुंड के जल को गंगा जल जैसा ही पावन बताया गया है।

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जानकारी के मुताबिक रेतस कुंड. इसकी ख़ास बात है कि कुंड के पास जाकर ‘ॐ नमः शिवाय’ और ‘बम-बम भोले’ के जयकारे लगाने पर कुंड में पानी के बुलबुले उठते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इस जल को पीते हैं वो शिवलोक को प्राप्त होते हैं।

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