legacy waste

गोरखपुर में बायो सीएनजी परियोजना को मिली मंजूरी

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लखनऊ। मुख्य सचिव  दुर्गा शंकर मिश्र (Durga Shakar Mishra) की अध्यक्षता में आयोजित कमेटी ऑफ सेक्रेटरीज की बैठक में गोरखपुर में बायो सीएनजी परियोजनाओं को मंजूरी दे दी गई है।

नगर निगम-गोरखपुर में 200 टीपीडी क्षमता के बायो-सीएनजी परियोजना (Bio CNG Projects) से सालाना आधार पर 73,000 मिट्रिक टन प्रतिवर्ष एमएसडब्ल्यू को लैंडफिल में जाने से रोका जा सकेगा। निकाय पर कोई वित्तीय बोझ नहीं होगा, क्योंकि पी०पी०पी० मोड पर डेवलपर द्वारा परियोजना की पूरी अवधि के लिए ओएंडएम खर्च सहित 100 प्रतिशत पूंजी निवेश किया जाएगा। इन परियोजनाओं के क्रियान्वन से चारों निकायों को कल  56 लाख रु0 की सालाना आमदनी रॉयल्टी के रुप में प्राप्त होगी।

ठोस कचरे के जैविक अंश पर आधारित जैव-सी०एन०जी० परियोजनाओं से सालाना 50,000 हजार टन कार्बन डाइ ऑक्साइड एवं अन्य ग्रीन हाउस गैसेस को कम करेंगी। बायो-सी0एन0जी0 परियोजनाओं से 6,800 किलोग्राम जैव सी०एन०जी० उत्पन्न होगी, जिसका प्रयोग इंडस्ट्रियल, कमर्शियल एवं वाहनों के लिए ईंधन के रूप में किया जाएगा। इससे आयात पर निर्भरता कम होगी, जिसके परिणाम स्वरूप विदेशी मुद्रा की बचत होगी ।

जैव-सी०एन०जी० संयंत्र के उप-उत्पाद के रूप में किण्वित जैविक खाद का उपयोग गंगा नदी सहित नदियों के किनारे खेती के लिए किया जा सकता है। इससे रासायनिक खाद का प्रयोग कम होगा और मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। यह नदी के पानी के साथ रासायनिक उर्वरकों के मिश्रण को भी रोकेगा। इस परियोजना के क्रियान्वित होने से लगभग 800 स्थानीय निवासियों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से नए रोजगार का सृजन होगा।

इसके अतिरिक्त, मुख्य सचिव  दुर्गा शंकर मिश्र (Durga Shakar Mishra) की अध्यक्षता में आयोजित स्वच्छ भारत मिशन (नगरीय) की 2.0 की राज्य स्तरीय उच्चाधिकार समिति की बैठक में 113 नगरीय निकायों के सिटी सेनिटेशन प्लान को मंजूरी दी गई। इसके माध्यम से 1 लाख से कम आबादी वाली 113 निकायों में यूज्ड वाटर के ट्रीटमेंट व पुनः प्रयोग में लाये जाने के लिए एसटीपी कम एफएसटीपी की स्थापना हो सकेगी। इसके लिए धनराशि 2916.66 की स्वीकृत एसबीएम 2.0 के अंतर्गत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित एसएचपीसी में प्राप्त हुई है।

वहीं, मुख्य सचिव  दुर्गा शंकर मिश्र (Durga Shakar Mishra) की अध्यक्षता में आयोजित एसबीएम 1.0 की गठित राज्य स्तरीय उच्च अधिकार समिति की बैठक भी आयोजित की गई।

बैठक में बताया गया कि निकायों में ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन के अन्तर्गत पूर्व से डम्प साइट पर विद्यमान लिगेसी वेस्ट (Legacy Waste) का भली-भांति निस्तारण किया जाना अपरिहार्य है। प्रदेश के 15 नगरीय निकायों में लगभग 41.94 लाख टन लिगेसी वेस्ट (Legacy Waste)  के निस्तारण हेतु लगभग रु0 191.96 करोड़ के लागत की संस्तुति सहित अनुमोदन हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया, जिसमें लखनऊ में 18.5 लाख टन में 96.53 करोड़, प्रयागराज में 8.34 लाख टन में 25.58 करोड़, मेरठ में 1.71 लाख टन में 9.38 करोड़, बरेली में 5.76 लाख टन में 20.3 करोड़, मथुरा वृन्दावन में 2.6 लाख टन में 11.73 करोड़, मुरादनगर में 0.95 लाख टन में 4.86 करोड़, गंगाघाट में 0.4 लाख टन में 2.27 करोड़, अकबरपुर में 0.4 लाख टन में 2.3 करोड़, हरदोई में 0.63 लाख टन में 3.77 करोड़, लखीमपुर में 0.76 लाख टन में 3.77 करोड़, फर्रुखाबाद में 0.79 लाख टन में 4.51 करोड़, चंदौसी में 0.29 लाख टन में 1.87 करोड़, सिकंदराबाद में 0.25 लाख टन में 1.66 करोड़, गोंडा में 0.47 लाख टन में 2.56 करोड़ और वहीं मलिहाबाद में 0.094 लाख टन में 2.87 करोड़ की लागत शामिल है। इन सभी 15 नगर निकायों में 41.944 लाख टन लिगेसी वेस्ट के निस्तारण में कुल 191.96 करोड़ की आने वाली लागत को समिति द्वारा स्वीकृत प्रदान कर दी गयी है।

बैठक में प्रमुख सचिव नगर विकास  अमृत अभिजात, निदेशक नगरीय निकाय निदेशालय  नेहा शर्मा, अपर निदेशक  जे. रीभा, अपर निदेशक ए के गुप्ता सहित सम्बन्धित विभागों के वरिष्ठ अधिकारीगण आदि मौजूद रहे।

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