लखनऊ। हर ग्राम पंचायत में लबालब भरे तालाब। इनके किनारों पर हरियाली। बैठकर सुकून के कुछ पल गुजारने के लिए जगह-जगह लगी बेंच। भविष्य में कुछ यही स्वरूप होगा आजादी के अमृतमहोत्सव पर बन रहे अमृत सरोवरों (Amrit Sarovar) का। हर अमृत सरोवर ऐसा ही खूबसूरत हो। इसके लिए योगी आदित्यनाथ सरकार एक स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा भी शुरू करने जा रही है। अच्छे अमृत सरोवरों के निर्माण से जुड़े ग्राम प्रधानों, अधिकारियों और कर्मचारियों को ग्राम्य विकास विभाग सम्मानित करेगा।
हरियाली बढ़ाने के लिए 21 सितंबर को होगा सघन पौधरोपण
अमृत सरोवरों (Amrit Sarovar) के किनारे हरियाली हो, इसके लिए 21 सितंबर को पौधरोपण का सघन अभियान चलेगा। इस दौरान स्थानीय लोगों के अलावा 80 हजार होमगार्ड के जवान पौधरोपण में भाग लेंगे। इस बाबत गढ्ढे मनरेगा से खोदे जाएंगे और निःशुल्क पौधे वन विभाग उपलब्ध कराएगा।
‘सबकी मदद से सबके लिए’ की मिसाल बनेंगे अमृत सरोवर (Amrit Sarovar)
कालांतर में यह अमृत सरोवर (Amrit Sarovar), ‘सबकी मदद से सबके लिए’ और पानी की हर बूंद को संरक्षित करने के साथ अपनी परंपरा को सहेजने की नजीर भी बनेंगे। पहले भी तालाब, कुएं, सराय, धर्मशालाएं और मंदिर जैसी सार्वजनिक उपयोग की चीजों के निर्माण का निर्णय भले किसी एक का होता था, पर इनके निर्माण में स्थानीय लोगों के श्रम एवं पूंजी की महत्वपूर्ण भूमिका होती थी। वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पाण्डेय कहते हैं कि बात चाहे लुप्तप्राय हो रही नदियों के पुनरुद्धार की हो या अमृत सरोवरों के निर्माण की, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन सबको जनता से जोड़कर जनांदोलन बनाने की बात करते रहे हैं।
अमृत सरोवरों (Amrit Sarovar) की रिकॉर्ड संख्या के निर्माण के पीछे यही वजह है। इसी के बूते पहले हर जिले में एक अमृत सरोवर के निर्माण का लक्ष्य था। बाद में इसे बढ़ाकर हर ग्राम पंचायत में दो अमृत सरोवरों का निर्णय लिया गया है। इस सबके बनने पर इनकी संख्या एक लाख 16 हजार के करीब हो जाएगी। भविष्य में ये सरोवर अपने अधिग्रहण क्षेत्र में होने वाली बारिश की हर बूंद को सहेजकर स्थानीय स्तर पर भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाएंगे। बारिश के पानी का उचित संग्रह होने से बाढ़ और जलजमाव की समस्या का भी हल निकलेगा। यही नहीं सूखे के समय में यह पानी सिंचाई एवं मवेशियों के पीने के काम आएगा। भूगर्भ जल की तुलना में सरफेस वाटर से पंपिंग सेट से सिंचाई कम समय होती है। इससे किसानों का डीजल बचेगा। कम डीजल जलने से पर्यावरण संबंधी होने वाला लाभ बोनस होगा।
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दरअसल बारिश के हर बूंद को सहेजने के इस प्रयास का सिलसिला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उनके पहले कार्यकाल से ही शुरू हो गया था। गंगा एवं अन्य बड़ी नदियों के किनारे बन रहे बड़े एवं बहुउद्देश्यीय तालाब और खेत-तालाब जैसी योजनाएं इसका प्रमाण हैं। इसी मकसद से सरकार अब तक 24 हजार 583 खेत-तालाब खुदवा चुकी है। इनमें से अधिकांश (80 फीसद) बुंदेलखंड, विंध्य, क्रिटिकल एवं सेमी क्रिटिकल ब्लाकों में हैं। मौजूदा वित्तीय वर्ष में 10 हजार और खेत-तालाब तैयार करने की है।
पांच साल में 37 हजार 500 खेत तालाब निर्माण का लक्ष्य
पांच साल का लक्ष्य 37 हजार 500 खेत तालाब निर्माण की है। इनका निर्माण कराने वाले किसानों को सरकार 50 फीसद का अनुदान देती है। इस समयावधि में इन पर 457.25 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य है। भूगर्भ जल स्तर में सुधार और सूखे के दौरान सिंचाई के काम आने के लिए सरकार गंगा नदी के किनारे बहुउद्देशीय गंगा तालाबों का भी निर्माण करा रही है। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में बनाए जा रहे अमृत सरोवरों का भी यही उद्देश्य है। फिलहाल उत्तर प्रदेश इनके निर्माण में नंबर एक है। ग्राम्य विकास विभाग से मिले अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में अमृत सरोवर के रूप में अब तक 15 हजार 441 तालाबों का चयन हुआ है। 10 हजार 656 के निर्माण का काम चल रहा है। 8389 तालाब अमृत सरोवर के रूप में विकसित किये जा चुके हैं।