Maha Kumbh

महाकुम्भ की सतत अनुभूति का साक्षी बनेगा त्रिवेणी संगम, संगम क्षेत्र को नव्य स्वरूप देने की प्रशासन ने शुरू की तैयारी

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प्रयागराज। त्रिवेणी के तट पर आयोजित महाकुम्भ 2025 (Maha Kumbh) ने इतिहास बना दिया। 45 दिन तक चले इस महा आयोजन में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आगमन के बाद संगम के घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ ने मेला प्रशासन को महा कुम्भ के बाद संगम के लिए नया रोड मैप बनाने के लिए प्रेरित किया है।

महाकुम्भ (Maha Kumbh) की सतत अनुभूति का साक्षी बन रहा है त्रिवेणी संगम

प्रयागराज महाकुम्भ (Maha Kumbh) में आस्था के जन सैलाब ने प्रशासन के सभी अनुमानों को पीछे छोड़ दिया। विशेष तौर पर बसंत पंचमी के तीसरे और अंतिम अमृत स्नान के बाद महाकुम्भ में आए श्रद्धालुओं ने संकेत कर दिया कि यह सनातन की आस्था का संवेग है। महा शिवरात्रि के बाद संगम के घाटों में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़ महा कुम्भ की सतत अनुभूति की तरफ इशारा कर रही है। दिल्ली से त्रिवेणी में डुबकी लगाने आए विजयकांत का कहना है कि हमने महा कुम्भ के अमृत काल में भी पुण्य की डुबकी लगाई और अब भीड़ कम होने पर सपरिवार संगम के पावन जल में उसी अनुभूति के साथ डुबकी लगा रहे हैं। मध्य प्रदेश के दमोह से अपनी पत्नी के साथ संगम में पुण्य की डुबकी लगाने आए शशिकांत मदेशिया का कहना है कि हमारे लिए त्रिवेणी संगम का जल महाकुम्भ के बाद भी उतना ही पुण्य फल वाला है जितना महाकुम्भ में था। श्रद्धालुओं के सतत आगमन को देखते हुए मेला प्रशासन ने संगम और उसके आसपास के क्षेत्र को नव्य स्वरूप देने का रोड मैप तैयार करना शुरू कर दिया है।

संगम को नव्य स्वरूप देने के लिए प्रशासन ने कसी कमर

प्रयागराज महाकुम्भ (Maha Kumbh) में आस्था का जो विराट स्वरूप सामने आया उससे कुम्भ नगरी, अयोध्या और काशी के साथ आध्यात्मिक पर्यटन का मजबूत त्रिकोण बनता नजर आ रहा है। मेला प्राधिकरण भी इसी रुझान को देखते हुए अग्रसर हो रहा है। एडीएम मेला विवेक चतुर्वेदी का कहना है कि महा कुम्भ (Maha Kumbh) के समापन के बाद भी महा कुम्भ क्षेत्र के संगम और उसके आसपास के क्षेत्रों से कुम्भ में प्रदान की गई सुविधाएं हटाई नहीं जाएंगी।

अगले अर्धकुम्भ 2031 तक संगम पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए क्षेत्र में लाइट्स, पेयजल के लिए वाटर एटीएम, आवागमन के लिए चकर्ड प्लेट, वाहन पार्किंग क्षेत्र, पुलिस बल, मोबाइल शौचालय, चेंजिंग रूम आदि जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। पहली बार अगले अर्ध कुम्भ तक चौबीसों घंटे कई सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी। इसमें टैक्सी सेवा, फूड कोर्ट जैसी सेवाएं भी शामिल की जाएंगी। इन सबके लिए नया बजट भी आवंटित होगा।

मंदिरों के कॉरिडोर, पक्के घाट और नए निर्माण होंगे पर्यटन के केंद्र

पिछले साल से संगम क्षेत्र और यहां के पर्यटन स्थलों में आने वाले पर्यटकों की गणना का कार्य शुरू हो चुका है। महा कुम्भ के समय शहर के अंदर विकसित किए गए मंदिरों के विभिन्न कॉरिडोर पूरे साल संगम आने वाले पर्यटकों के लिए पर्यटन के नए डेस्टिनेशन साबित होंगे।

संगम के निकट हनुमान मंदिर कॉरिडोर और अक्षय वट कॉरिडोर को लेकर श्रद्धालुओं और पर्यटकों का रिस्पॉन्स बता रहा है कि अब पूरे साल संगम और उसके आसपास के इलाकों में मिनी महाकुम्भ जैसी स्थिति बनी रहेगी। एडीएम मेला विवेक चतुर्वेदी का कहना है कि पहली बार पक्के घाटों में पर्यटकों के रुझान को देखते हुए वहां अब वाराणसी के घाटों की तरह आरती की योजना भी तैयार हो रही है।

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