Naga

सनातन की फौज नागा संन्यासियों की दीक्षा का साक्षी बना प्रयागराज महाकुम्भ का गंगा तट

53 0

महा कुम्भ नगर। प्रयागराज महाकुम्भ (Maha Kumbh) का श्रृंगार है यहां सेक्टर 20 में मौजूद सनातन धर्म के ध्वज वाहक 13 अखाड़े। महा कुम्भ नगर में जन आस्था के केंद्र इन अखाड़ों के नागा (Naga) संन्यासियों की फौज में नई भर्ती का सिलसिला शुरू हो गया है। गंगा के तट पर श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अवधूतों को नागा दीक्षा की प्रक्रिया शुरू हो गई। संन्यासी अखाड़ों में सबसे अधिक नागा संन्यासियों वाला अखाड़ा है श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा जिसमें निरंतर नागाओं की संख्या बढ़ती जा रही है जिसके विस्तार की प्रक्रिया शनिवार से शुरू हो गई।

श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के 1500 अवधूत बने नागा (Naga) संन्यासी

भगवान शिव के दिगम्बर भक्त नागा (Naga) सन्यासी महाकुम्भ में सबका ध्यान अपनी तरह खींचते हैं और यही वजह है शायद कि महाकुम्भ में सबसे अधिक जन आस्था का सैलाब जूना अखाड़े के शिविर में दिखता है। अखाड़ों की छावनी की जगह सेक्टर 20 में गंगा का तट इन नागा संन्यासियों की उस परम्परा का साक्षी बना जिसका इंतजार हर 12 साल में अखाड़ों के अवधूत करते हैं । श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय मंत्री श्री महंत चैतन्य पुरी ने बताया कि शनिवार को नागा दीक्षा की शुरुआत हो गई है। पहले चरण में 1500 से अधिक अवधूत को नागा संन्यासी की दीक्षा दी जा रही है । नागा संन्यासियों की संख्या में जूना अखाड़ा सबसे आगे है जिसमे अभी 5.3 लाख से अधिक नागा संन्यासी हैं।

महाकुम्भ और नागा (Naga) संन्यासियों का दीक्षा कनेक्शन

नागा (Naga) संन्यासियों केवल कुंभ में बनते हैं वहीं उनकी दीक्षा होती है। सबसे पहले साधक को ब्रह्मचारी के रूप में रहना पड़ता है। उसे तीन साल गुरुओं की सेवा करने और धर्म-कर्म और अखाड़ों के नियमों को समझना होता है। इसी अवधि में ब्रह्मचर्य की परीक्षा ली जाती है। अगर अखाड़ा और उस व्यक्ति का गुरु यह निश्चित कर ले कि वह दीक्षा देने लायक हो चुका है तो फिर उसे अगली प्रक्रिया में ले जाया जाता है। यह प्रकिया महाकुम्भ में होती है जहां वह ब्रह्मचारी से उसे महापुरुष और फिर अवधूत बनाया जाता है।

महाकुम्भ का भव्य आयोजन देख साधु संत बोले- सीएम योगी बने भगीरथ

महाकुम्भ में गंगा किनारे उनका मुंडन कराने के साथ उसे 108 बार महाकुम्भ की नदी में डुबकी लगवाई जाती है। अन्तिम प्रक्रिया में उनका स्वयं का पिण्डदान तथा दण्डी संस्कार आदि शामिल होता है। अखाड़े की धर्म ध्वजा के नीचे अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर उसे नागा दीक्षा देते हैं। प्रयाग के महाकुम्भ में दीक्षा लेने वालों को राज राजेश्वरी नागा, उज्जैन में दीक्षा लेने वालों को खूनी नागा, हरिद्वार में दीक्षा लेने वालों को बर्फानी व नासिक वालों को खिचड़िया नागा के नाम से जाना जाता है। इन्हें अलग-अलग नाम से केवल इसलिए जाना जाता है, जिससे उनकी यह पहचान हो सके कि किसने कहां दीक्षा ली है।

Related Post

Charging Stations

एक्सप्रेसवे पर बनाए जाएंगे चार्जिंग स्टेशन, मिलेंगी कई और सुविधाएं

Posted by - December 20, 2023 0
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की पहचान अब एक्सप्रेसवे प्रदेश के रूप में बन चुकी है। प्रदेश में अभी 6 एक्सप्रेसवे संचालित…
CM Yogi

800 करोड़ से बदलेगी बुलंदशहर की सूरत, लगेंगे विकास के पंख

Posted by - August 27, 2024 0
बुलंदशहर। योगी सरकार (Yogi Government) प्रदेश के विभिन्न जिलों में व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ाने के साथ बेहतर कनेक्टिविटी और नगरीय…