Dev Diwali

शिव की काशी के आंगन में देवताओं ने मनाई देव दीपावली

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वाराणसी। देवताओं के दिव्य लोक में देव दीपावली (Dev Diwali) की छटा कैसी रही होगी, यह तो देवता और ऋषि-मुनि ही जानें, लेकिन देवाधिदेव महादेव की काशी के घाटों पर सोमवार की सांझ की बेला में कार्तिक पूर्णिमा पर जब 21 लाख दीप एक साथ जले तो यहां भी देवलोक सा दृश्य लगा। कार्तिक मास की आखिरी सांझ में अद्भुत, अलौकिक, अनुपम छटा देख इस पल के साक्षी बने लोगों का रोम-रोम पुलकित हो उठा। मान्यता है कि काशी भगवान शंकर के त्रिशूल पर बसी है। ऐसी ही शिव की काशी के आंगन में देवताओं ने सोमवार को देव दीपावली मनाई। इसके साक्षी देश विदेश के आम नागरिकों के साथ ही 70 देशों के राजदूत, 150 डेलीगेट्स और उनके परिवारीजन बने।

21 लाख दीपों से जगमग हुई काशी

देव दीपावली (Dev Diwali) पर काशी नगरी में लगभग 21 लाख दीप प्रज्ज्वलित किए गए। काशी के अर्धचंद्राकार घाटों पर ही 12 लाख से अधिक दीप जलाए गए। इनमे एक लाख दीप गाय के गोबर से बने थे। दीप पश्चिमी तट घाटों पर और पूर्वी तट की रेत पर जलाये गए थे। काशी के कुंडों, सरोवरों, गंगा-गोमती तट पर स्थित मार्कण्डेय महादेव, वरुणा नदी के शास्त्री घाट आदि स्थानों को लाखों दीयों से जगमग किया गया। देव दीपावली पर सरकार की ओर से 12 लाख ( एक लाख गोबर के दीप), स्वयंसेवी संस्था और जन सहभागिता से कुल 21 लाख से अधिक दीपों से काशी रोशन हुई।

पहला मौका रहा, जब 70 देशों के राजदूत व डेलीगेट्स बने साक्षी

यह पहला मौका है, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई में इतनी बड़ी संख्या में कई देशों के राजनायिकों ने इस अलौकिक, अद्भुत और अविस्मरणीय क्षण को अपनी आंखों के सामने देख खुद को गौरवान्वित महसूस किया। योगी सरकार इस वर्ष से देव दीपावली को प्रांतीय मेले का दर्जा दे चुकी है। इससे देव दीपावली की आभा पूरी दुनिया में फ़ैल रही है। गोरक्षपीठाधीश्वर और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करकमलों से देव दीपावली पर पहला दीपक जलाकर न सिर्फ इसका शुभारंभ किया गया, बल्कि देवताओं का स्वागत भी किया गया।

धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक नगरी काशी में सोमवार की गोधूलि बेला में भव्य देव दीपावली मनाई गई। सूर्यास्त के साथ ही उत्तरवाहिनी जाह्नवी के तट पर लाखों दीपों ने अद्भुत और अलौकिक छटा बिखेरी। काशी के धनुषाकार 85 घाटों पर मानो आकाशगंगा के सितारे उतर आए हों। पूरी काशी दीपों की रोशनी में नहाई दिख रही थी। सभी घाटों पर शंखनाद, भव्य महाआरती और घंट-घड़ियालों की ध्वनि से काशी की धरती पर देवताओं का स्वागत हुआ। काशी के चेत सिंह घाट पर लेजर शो और गंगा पार क्रैकर्स शो का अद्भुत नजारा दिखा। योगी सरकार देव दीपावली को दिव्य और भव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेहमानों का स्वागत किया और इनके साथ क्रूज़ पर सवार होकर देव दीपावली की अद्भुत छटा भी देखी।

धर्म व अध्यात्म के साथ राष्ट्रीयता का संदेश

देव दीपावली (Dev Diwali) पर काशी के घाटों की श्रृंखला अलग-अलग रंग बिखेरती दिखी। कहीं लेज़र शो का आयोजन हुआ, तो गंगा पार रेत पर ग्रीन एरियल फायर क्रैकर्स शो का देशी और विदेशी सैलानियों ने आनंद लिया। दशाश्वमेध घाट की महाआरती में राम भक्ति और राष्ट्रवाद के साथ आध्यात्मिकता व सामाजिकता की भी झलक दिखी। दशाश्वमेध घाट की महाआरती रामलला को समर्पित रही। भक्तों को यहां रामलला व राम मंदिर की झलक देखने को मिली। दशाश्वमेध घाट पर अमर जवान ज्योति की अनुकृति बनाकर देश के वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। भारत के अमर वीर योद्धाओं को ‘भगीरथ शौर्य सम्मान’ से सम्मानित भी किया गया। 21 अर्चक व 51 देव कन्याएं ऋधि सिद्धि के रूप में दशाश्वमेध घाट पर मां गंगा की पूजा और आरती की, यह नारी शक्ति का संदेश भी देती रही।

परंपरा के साथ आधुनिक काशी का नजारा

काशी के घाटों पर एक साथ 12 लाख (जन सहभागिता से 21 लाख) दीयों के प्रज्जवलित होने से अलौकिक समा तो बंधा ही साथ ही चेत सिंह घाट पर साउंड एंड लाइट शो विद प्रोजेक्शन शो के माध्यम से पौराणिक काशी और भगवान शिव के चित्रात्मक जानकारी सुनकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो उठे। देव दीपावली पर काशी के सभी मंदिरों, घाटों पर फसाड लाइट, सड़क के विद्युत खंभों को भी आकर्षक तिरंगे स्पाइरल झालरों से सजाया गया। काशी विश्वनाथ धाम के सामने गंगा पार रेत पर ग्रीन आतिशबाजी का भी लोगों ने जमकर आनंद लिया। इसके अलावा शहर के छह प्रमुख स्थानों पर घाटों पर महाआरती का सजीव प्रसारण किया गया।

श्री काशी विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार पर हुआ लेज़र शो, 11 क्विंटल फूलों से सजाया गया काशी विश्वनाथ धाम
काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर को जिस तरह उद्घाटन के समय सजाया गया था, वैसे ही देव दीपावली पर 11क्विंटल फूलों से सजाया गया। गंगा द्वार पर लेज़र शो के माध्यम से श्री काशी विश्वनाथ धाम पर आधरित काशी का महत्व और कॉरिडोर के निर्माण संबंधी जानकारी लेज़र शो के माध्यम से दिखाई गई।

जल, थल और नभ में रही अभेद्य सुरक्षा व्यवस्था, जल मार्ग पर बने थे यातायात के नियम

देव दीपावली (Dev Diwali) पर पर्यटकों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए घाटों को 8 जोन, 11 सेक्टर और 32 सब सेक्टर में बांटा गया था। कई चक्र में सुरक्षा के इंतजाम भी किए गए थे। घाटों, नदियों और सड़क पर सुरक्षा, यातायात व्यवस्था, पार्किंग, इमरजेंसी प्रबंधन, क्यूआरटी, इंट्री एंड एग्जिट को लेकर पूरी तैयारी का खाका पहले से ही तैयार किया गया था। महिलाओं की सुरक्षा के लिए पिंक बूथ, एंटी रोमियो स्कवॉयड आदि की तैनाती की गई थी। गंगा में नावों से चलने के लिए दोनों दिशाओं से लेन निर्धारण किया गया था। नावों पर सुरक्षा के उपकरण, नाविकों को अधिक सवारी और नशा न करके नाव चलने की हिदायत दी गई थी। एनडीआरएफ और जल पुलिस के जवान बोट, अत्याधुनिक उपकरणों और चिकित्सकों की टीम के साथ वाटर एम्बुलेंस लेकर तैनात थे।

केंद्र व प्रदेश सरकार के कई मंत्री भी रहे मौजूद

देव दीपावली (Dev Diwali) कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, प्रदेश सरकार के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, मंत्री अनिल राजभर, दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’, रवींद्र जायसवाल आदि भी इस अद्भुत पल में श्रद्धा निवेदित करने पहुंचे।

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