Dev Deepawali

विशाखापट्टनम के डेकोरेटर बिना शुल्क के सजाएंगे बाबा विश्वनाथ का धाम

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वाराणसी/लखनऊ। विश्वनाथ धाम (Vishwanath Dham) का लोकार्पण होने के बाद वाराणसी में पर्यटकों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। ऐसे में देव दीपावली (Dev Deepawali ) पर काशी आने वाले सैलानियों की संख्या लाखों में होने का अनुमान है।

योगी सरकार जहां वाराणसी के सभी घाटों को 10 लाख दीयों से रौशन करके नया रिकॉर्ड बनाने जा रही है, वहीं नव्य-भव्य श्री काशी विश्वनाथ धाम को दिव्य और अलौकिक रूप देने के लिए फूलों से सजाने की तैयारी है। सरकार की ओर से इसके लिए 80 लाख रुपये खर्च किये जाएंगे। इसमें पूरे विश्वनाथ धाम परिसर की दो दिन तक सजावट की जाएगी।

Dev Deepawali

काशी की देव दीपावली (Dev Deepawali ) पूरी दुनिया में विख्यात है। कार्तिक माह की पूर्णिमा को मनाये जाने वाले इस महा उत्सव के दौरान बनारस के सभी घाटों को लाखों दीयों से रौशन किया जाता है, जिसे देखने देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक वाराणसी पहुंचते हैं। काशी आने वाले पर्यटक श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर भी जरूर जाते हैं। मुख्यमंत्री की मंशा है कि देव दीपावली पर वाराणसी आने वाले पर्यटक काशी विश्वनाथ धाम की अलौकिक छटा के साक्षी बनें। इसके लिए पूरे धाम परिसर को लोकार्पण की तर्ज पर सजाने संवारने का निर्देश दिया गया है।

Dev Deepawali

वाराणसी के मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा के अनुसार देव दीपावली (Dev Deepawali ) पर काशी में लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं, जोकि दर्शन-पूजन के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर भी जाते हैं। ऐसे में मंदिर आने वाले पर्यटकों को नया अनुभव मिले, इसके लिए धाम परिसर की भव्य सजावट की जाएगी। उन्होंने बताया कि विशाखापट्टनम के एक नामी डेकोरेटर श्री काशी विश्वनाथ धाम के लिए वॉलेंटियर के तौर पर सजावट का कार्य करने के लिए इच्छुक हैं। उन्हीं के द्वारा काशी विश्वनाथ धाम परिसर की सजावट फूलों से करायी जाएगी। इसमें 80 लाख रुपए का खर्च आएगा।

Dev Deepawali

मंडलायुक्त के अनुसार 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण के कारण इस बार 7 नवंबर को ही काशी में देव दीपावली (Dev Deepawali ) का पर्व मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि धाम के लोकार्पण के बाद इस साल पहली देव दीपावली है। विश्वनाथ धाम को पहली बार देव दीपावली पर इतने भव्य रूप में सजाया जा रहा है। हमारा प्रयास है कि इसे एक परंपरा का रूप देते हुए हर साल बाबा के दरबार को अलौकिक रूप से सजाया जाए, जिसमें यहां के दानदाताओं और व्यापारियों का भी सहयोग हो। काशी विश्वनाथ धाम बनने के बाद वाराणसी में पर्यटकों की संख्या बढ़ी है, जिससे यहां व्यापार में भी वृद्धि हुई है और रोजगार के अवसर भी सृजित हुए हैं।

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