ballia

अन्याय के खिलाफ बगावत और देश हित में बलिदान है बलिया की पहचान

312 0

गोरखपुर। महर्षि भृगु की धरा बलिया (Ballia) यूं ही पूरे देश में नायाब नहीं है। इसी मिट्टी के लाल, अमर सेनानी मंगल पांडेय ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ पहली बगावत का बिगुल फूंका तो देश को आजादी मिलने के पांच साल पहले ही बगावती तेवर के बूते क्रांतिवीर चित्तू पांडेय की अगुवाई में आजाद होने का स्वर्णिम इतिहास भी बलिया के नाम दर्ज है। अन्याय का प्रतिकार और देश हित में बलिदान, बागी बलिया की खास पहचान है।

19 अगस्त का दिन बलिया (Ballia) के लिए खास होता है। वर्ष 1942 में इसी तारीख को चंद दिनों के लिए ही सही, बलिया अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो गया था। इस आजादी के लिए अनेकानेक सेनानियों को बलिदान होना पड़ा था। तबसे यह तारीख इतिहास के पन्नों में बलिया बलिदान दिवस (Ballia sacrifice day) के नाम अमर है। इस वर्ष इस दिवस विशेष के आयोजन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi)  मौजूद रहेंगे। देश की स्वतंत्रता के 75 सालों में यह पहला अवसर होगा जब राज्य के कोई मुख्यमंत्री बलिया बलिदान दिवस समारोह में शामिल होंगे।

बागी बलिया। ऐसा शब्द जिसके अर्थ में विरोध से अधिक राष्ट्रीय व्यापक लक्ष्य के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा अधिक प्रतिध्वनित होता है। लोगों के दिलों में जिले को बागी का खिताब मिला था 19 अगस्त 1942 को। इस तारीख से दस दिन पहले महात्मा गांधी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा देकर बर्तानिया हुकूमत के खिलाफ निर्णायक आंदोलन शुरू किया था।

काम शुरू होने के बाद नहीं बढ़ेगा बजट: सीएम योगी

बापू के नारे की गूंज पूरे हिंदुस्तान में थी। पर, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में मेरठ की सैन्य छावनी से पहली बगावत करने वाले मंगल पांडेय की जन्मभूमि बलिया में अलग ही जुनून था। इस जुनून को परवान चढ़ाने वाले थे गांधीवादी क्रांतिकारी चित्तू पांडेय। गांधीवादी क्रांतिकारी इसलिए कि उनके रगों में जोश व जज्बा मंगल पांडेय सरीखा था और वह अनुयायी महात्मा गांधी के थे। उनके अगुवाई में स्थानीय स्तर पर गांधीवादी आंदोलनों में भी जुनून अधिक नजर आता था।

अंग्रेजों भारत छोड़ो के नारे पर अमल करते हुए बलिया में लोग चित्तू पांडेय के नेतृत्व में पूरी तरह बगावत पर आमादा हो गए। इस बीच चित्तू पांडेय व उनके साथियों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। चूंकि उस समय चित्तू जिले के सर्वप्रिय नेता थे, लिहाजा जन आक्रोश और भड़क उठा। हड़ताल हो गया। छात्र, किसान, व्यापारी सब आंदोलन में कूद पड़े। हड़ताली जुलूस पर पुलिस ने फायर कर दिया लेकिन बलिया के बगावती तेवर में कोई कमी नहीं आई। लोग शहीद होते रहे लेकिन इस दौरान अंग्रेजी शासन के अलग-अलग प्रतीकों पर क्रांतिकारियों के कब्जा होता गया। 19 अगस्त 1942 को आंदोलनकारियों के आगे तत्कालीन कलेक्टर ने घुटने टेक दिए। चित्तू पांडेय समेत सभी सेनानियों को जेल से रिहा कर दिया गया। इसके बाद चित्तू पांडेय के नेतृत्व में बलिया को आजाद घोषित कर दिया गया। उनकी ही अगुवाई में जिले स्तर पर नई सरकार बनाई गई। हालांकि बलिया की यह आजादी तब पांच दिन की ही रही लेकिन इसने ब्रिटिश सरकार की चूलें हिला दीं।

हरिहरेश्वर तट पर मिली संदिग्ध नाव, भारी मात्रा में हथियार बरामद

बागी बलिया के आजादी के दीवानों को याद करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) के आगमन की खबर से पूरे जिले में उत्साह का माहौल है। सीएम योगी को बलिया की मिट्टी की तासीर से खास लगाव है। इसे विधानसभा चुनाव के दौरान उनके संबोधन में भी लोगों ने महसूस किया। एक चुनावी जनसभा में सीएम योगी ने कहा था कि बलिया से उनकी केमिस्ट्री काफी मिलती है। चुनाव के बाद बलिया बलिदान दिवस पर उनका आगमन इस केमिस्ट्री को और आगे बढ़ाने वाला होगा।

Related Post

ak sharma

उप्र लगातार ऊर्जा की विशिष्ट दक्षता की ओर अग्रसर : एके शर्मा

Posted by - May 17, 2022 0
लखनऊ। ऊर्जा दक्षता कार्ययोजना के माध्यम से शून्य कार्बन उत्सर्जन की दिशा में एक दिवसीय कार्यशाला का का आयोजन हजरतगंज…
Gajendra Singh Shekhawat

उप्र के मुख्यमंत्री ने कुंभ को दिव्य और भव्य बनाने में नहीं छोड़ी कोई कसर: गजेंद्र सिंह शेखावत

Posted by - January 12, 2025 0
महाकुम्भ नगर। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) ने आज महाकुंभ (Maha Kumbh) मेले के…