Alopshankari Mandir

महाकुंभ में विश्व को चौंकाने जा रहा देश का इकलौता बिना मूर्ति वाला शक्तिपीठ

153 0

प्रयागराज: प्रयागराज का आदिकालीन अलोपशंकरी का सिद्धपीठ (Alopshankari Mandir) श्रद्धा एवं आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा है। इस महाकुंभ में यह सिद्धपीठ भी आस्था के प्रमुख केंद्रों में एक होगा। अलोप शंकरी मंदिर (Alopshankari Mandir) दुनिया का एकमात्र ऐसा शक्तिपीठ है, जहां माता की कोई मूर्ति नहीं है। इसीलिए इसके पुनर्निर्माण के लिए सरकार की ओर से 7 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जा रही है। वर्तमान में करीब 55 फ़ीसदी से अधिक निर्माण कार्य पूरे हो चुके हैं। 15 दिसंबर तक इस कार्य को पूरा कर लिया जाएगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) की प्राथमिकता में यहां के धार्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण का कार्य चौबीसों घंटे अनवरत चल रहा है। मुख्यमंत्री की मंशा है कि देश और विदेश से आने वाले श्रद्धालु महाकुंभ की पौराणिक मान्यता के अनुरूप दुनिया के सबसे भव्य सांस्कृतिक आयोजन के उत्सव के भागीदार बनें। योगी सरकार ने इसके लिए करीब साढ़े छह हजार करोड़ रुपए की 500 से अधिक परियोजनाओं को साकार रूप देना शुरू कर दिया है।

दारागंज के पश्चिम में स्थित है मंदिर (Alopshankari Mandir) 

प्रयागराज में दारागंज के पश्चिम अलोपीबाग में देवी का मन्दिर (Alopshankari Mandir) है। अलोपशंकरी देवी के इस मन्दिर के गर्भगृह के बीचोबीच एक रंगीन कपड़ा लटकता रहता है, जिसके नीचे एक खटोली बंधी रहती है। भक्त यहीं पर आकर माला-फूल चढ़ाकर दर्शन करते हैं। पौराणिक मान्यता है कि सती की एक अंगुली यहां पर गिरी थी। मन्दिर में एक चबूतरा है, जिसमें एक कुण्ड है। इस कुण्ड के ऊपर ही खटोली रहती है।

मंदिर (Alopshankari Mandir) के बाहर गणेश, शिव, कार्तिकेय, हनुमान की प्रतिमा

माता के मंदिर (Alopshankari Mandir) के बाहर गणेश, शिव, कार्तिकेय, हनुमान जी की मूर्तियां लगाई गई हैं। मन्दिर के पास में ही शंकराचार्य की पीठ भी है। यहां लगने वाला नवरात्रि का मेला काफी प्रसिद्ध है। देश विदेश से लोग यहां आकर दर्शन करते हैं। साथ ही माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

सभी धर्मों के लोग करते हैं दर्शन

स्थानीय लोगों बीच मान्यता है कि इस मंदिर (Alopshankari Mandir) में दर्शन मात्र से व्यक्ति का दुःख दूर हो जाता है। लोग बताते हैं कि यहां की सबसे खास बात ये है कि सभी धर्मों के लोग इस मंदिर में आते हैं। कहा जाता है कि बच्चों की कई बीमारियां जब डाक्टर भी नहीं ठीक कर पाते तब लोग इस मंदिर में आते हैं। मंदिर के कुंड के पानी से ही बीमारियां ठीक हो जाती हैं।

पौराणिक मान्यता

पुराणों के अनुसार, यहां मां सती के दाहिने हाथ का पंजा एक कुंड में गिरकर लुप्त हो गया था। जिसके बाद इस मंदिर का नाम देवी अलोपशंकरी रखा गया है। यह मंदिर मां शक्ति के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है।

अंग्रेजी और चीनी लेखकों ने भी अपनी किताबों में बताया महाकुंभ का महत्व

सरस्वती पत्रिका के संपादक अनुपम परिहार के मुताबिक प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक मार्क ट्वैन ने 1896 में जब यहां की यात्रा की तो प्रयागराज के धार्मिक उत्सव देखकर बड़ा आश्चर्यचकित हुआ। उन्होंने अपनी एक पुस्तक में यहां का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि सौ राज्यों, हजारों बोलियों तथा लाखों देवों का राज्य है ये। यह मानवीय बोली की जन्मस्थली है। भाषाओं की जननी है। यह एक ऐसा राज्य है जिसे एक बार देख लेने के बाद कहीं और जाने की जरूरत नहीं। सातवीं शताब्दी के चीनी यात्री व्हेनसांग ने भी अपनी प्रयागराज की यात्रा को लेकर महाकुंभ का अद्भुत वर्णन किया है।

Related Post

Braj

काशी और अयोध्या की तरह मथुरा में भी पग-पग पर तीर्थ स्थल, हो रहा जीर्णोद्धार

Posted by - January 6, 2023 0
मथुरा। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Shrikrishna Janmbhumi) को एक प्रमुख तीर्थ पर्यटन स्थल के रूप में विकसित…
CM Yogi

जीवनोपयोगी तकनीकी का किफायती मॉडल विकसित करें प्रौद्योगिकी संस्थान : मुख्यमंत्री

Posted by - April 7, 2025 0
गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने कहा कि कोई भी प्रौद्योगिकी संस्थान अपनी जिम्मेदारी को परिसर तक सीमित नहीं…
AMITABH THAKUR RETIRED

पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर ने कहा- गुपचुप तरीके से क्यों भेजा गया रिटायरमेंट का आदेश

Posted by - March 30, 2021 0
लखनऊ। पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर (Former IPS Amitabh Thakur) ने डीजीपी एचसी अवस्थी को पत्र लिखकर अपने अनिवार्य सेवानिवृति के…