हरियाणा की बेटी

हरियाणा की 23 साल की बेटी ने पाया वो मुकाम, जब देखती रह गई दुनिया

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नई दिल्ली। भारत की बेटियां आए दिन नित नए कारनामे कर दिखा रही हैं। इससे समाज उन पर नाज कर रहा है। ऐसी ही सफलता की कहानी है हरियाणा के सेना के परिवार की बेटी की है। जिसके सपनों की उड़ान मां ने दी। ये कहानी है हरियाणा के सोनीपत जिले में सेक्टर-12 की रहने वाली सौम्या की है, जिसने बीएसएफ में प्रदेश में पहली और देश में तीसरी महिला सहायक कमांडेट पद प्राप्त किया है।

सौम्या ने संघ लोक सेवा आयोग की तरफ से आयोजित परीक्षा में पहले ही प्रयास में ये सफलता हासिल की

ये सफलता पाने वाली लड़की का नाम सौम्या है, जो कि मात्र 23 साल की है। सौम्या ने संघ लोक सेवा आयोग की तरफ से आयोजित परीक्षा में पहले ही प्रयास में ये सफलता हासिल की है। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा स्थान पाया है। मध्यप्रदेश के ग्वालियर के टेकनपुर स्थित बीएसएफ अकादमी में आयोजित दीक्षांत समारोह में सौम्या को स्वार्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया है। दीक्षांत समारोह के बाद घर लौटीं सौम्या ने बताया कि उसे जल्द ही देश की सीमा पर अधिकारी के तौर पर नियुक्ति मिलेगी। फिलहाल वह ग्वालियर स्थित बीएसएफ अकादमी में ट्रेनिंग के लिए गईं हैं।

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वर्ष 2016 में दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्विद्यालय मुरथल से कंप्यूटर साइंस व इंजीनियरिंग में बीटेक किया

सौम्या ने बताया कि ट्रेनिंग के दौरान भी उन्हें पहले बेस्ट ट्रेनी के लिए स्वार्ड ऑफ आनर व बेस्ट इन इंडोर सब्जेक्ट्स के लिए डीजी ट्राफी से बीएसएफ अकादमी के निदेशक यूसी सारंगी द्वारा सम्मानित किया गया है। सौम्या बचपन से ही सेना व आर्म्ड फोर्स में जाने की इच्छुक थी। उन्होंने वर्ष 2016 में दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्विद्यालय मुरथल से कंप्यूटर साइंस व इंजीनियरिंग में बीटेक किया है।

सौम्या के परिवार के अधिकतर लोग सेना में हैं और उसने भी सेना में जाने की प्रेरणा उन्हीं से ली

सौम्या के पिता कुलदीप सिंह राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय भिगान में प्राचार्य के पद पर तैनात हैं। इनको राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त है। उनकी माता मंजू चौहान भी सोनीपत के एक निजी स्कूल में अध्यापिका हैं। उनके ताऊ रिटायर्ड कैप्टन प्रेम सिंह चौहान को भी वीरता के लिए राष्ट्रपति द्वारा वीर चक्र दिया जा चुका है। सौम्या के परिवार के अधिकतर लोग सेना में हैं और उसने भी सेना में जाने की प्रेरणा उन्हीं से ली है।

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