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Valentine’s Day : इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद, अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता…

Valentines Day

Valentines Day

नई दिल्ली। Valentine’s Day 14 फरवरी को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इस दिन प्रेमी जोड़े एक दूसरे को प्रपोज करते हैं और इश्क के इस दिन को यादगार बनाने की कोशिश करते हैं।

Valentine’s Day पर मिर्ज़ा ग़ालिब की उर्दू शायरी  एकदम सटकी बैठती है

बेशक Valentine’s Day नए दौर की ईजाद है, लेकिन उर्दू शायरी और वह भी मिर्ज़ा ग़ालिब की, वह इस मौके पर एकदम सटकी बैठती है। मिर्जा गालिब की इश्किया शायरी का इस्तेमाल तो हर प्यार करने वाले ने अपनी जिंदगी में कभी न कभी किया ही होगा, क्योंकि कम शब्दों में मारक बात कहना मिर्ज़ा की आदत थी और वे अपनी असल जिंदगी में भी बहुत ही प्यारी शख्सियत थे। वे मस्त रहते थे और अपनी ही दुनिया में मशगूल रहने वाले शख्स थे। Valentine’s Day के मौके पर उर्दू के बाकी शायर जैसे बशीर बद्र, अकबर इलाहाबादी और जौन एलिया की शायरी का भी खूब इस्तेमाल होता है।

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वैलेंटाइंस डे के मौके पर उर्दू के कुछ रोमांटिक शेरः

इश्क़ ने ‘गालिब’ निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के

इश्क पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘गालिब’
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक

तुम सलामत रहो हजार बरस
हर बरस के हों दिन पचास हजार

मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफिर पे दम निकले

इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद
अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता
अकबर इलाहाबादी

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता
बशीर बद्र

ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में
जौन एलिया

आते आते मिरा नाम सा रह गया
उस के होंटों पे कुछ काँपता रह गया
वसीम बरेलवी

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