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रिसर्च: रेड मीट महिलाओं में बढ़ा रहा ब्रेस्ट कैंसर का खतरा

ब्रेस्ट कैंसर का खतरा

ब्रेस्ट कैंसर का खतरा

नई दिल्ली। लाल मांस (रेड मीट) अपने स्वाद के कारण चिकन से ज्यादा पसंद किया जाता है , लेकिन कोई भी इससे जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि रेड मीट खाने से महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है, जबकि मुर्गे का मांस सुरक्षात्मक साबित हो सकता है।

लाल मांस की पहचान एक संभावित कार्सिनोजेन के रूप में की गई

अमेरिका में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एन्वायरनमेंटल हेल्थ साइंस से डेल पी. सैंडलर ने बताया कि लाल मांस की पहचान एक संभावित कार्सिनोजेन के रूप में की गई है। अध्ययन में ऐसे सबूत मिले हैं कि लाल मांस स्तन कैंसर के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हो सकता है, जबकि पोल्ट्री कम जोखिम के साथ जुड़ी हुई मिली।

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शोधकर्ताओं ने 42,012 महिलाओं के मांस खाने व  पकाने की प्रक्रिया का विश्लेषण औसतन 7.6 वर्षों तक किया

यह शोध इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कैंसर में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 42,012 महिलाओं के विभिन्न प्रकार के मांस खाने व इन्हें पकाने की प्रक्रिया पर जानकारी का विश्लेषण औसतन 7.6 वर्षों तक किया गया। इस दौरान 1,536 आक्रामक स्तन कैंसर की पहचान की गई। शोध में यह पाया गया कि लाल मांस की बढ़ती खपत इनवेसिव ब्रेस्ट कैंसर के बढ़ते जोखिम से जुड़ी थी। शोध के अनुसार, जिन महिलाओं ने मांस का सबसे अधिक सेवन किया उनमें उन महिलाओं की तुलना में 23 फीसदी अधिक जोखिम था, जिन्होंने इस मीट का सबसे कम सेवन किया था।

लाल मांस का अधिक मात्रा में सेवन करने वाली महिलाओं में कम प्रयोग करने वालों की तुलना में 15 फीसदी जोखिम कम

वहीं, पोल्ट्री की बढ़ती खपत स्तन कैंसर के कम जोखिम से जुड़ी मिली। इसमें सबसे अधिक मात्रा में इसका प्रयोग करने वाली महिलाओं में कम प्रयोग करने वालों की तुलना में 15 फीसदी कम जोखिम देखा गया। लाल मांस के स्थान पर मुर्गा (चिकन) का सेवन करने वाली महिलाओं के लिए स्तन कैंसर की संभावना और भी कम पाई गई।

एक हफ्ते में 455 ग्राम से ज्यादा पके हुए रेड मीट का सेवन नहीं किया जाना चाहिए

नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी कंसल्टेंट पराग कुमार ने बताया कि प्रोसेस्ड मीट आमतौर पर रेड मीट से बना होता है, लेकिन इसमें नाइट्रेट और नाइट्राइट भी होते हैं, जो आगे चलकर कार्सिनोजेन बनाने में टूट जाते हैं। उन्होंने कहा कि एक हफ्ते में 455 ग्राम से ज्यादा पके हुए रेड मीट का सेवन नहीं किया जाना चाहिए। गुरुग्राम के नारायणन सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी (स्तन सेवाएं) की वरिष्ठ सलाहकार रश्मि शर्मा ने हालांकि बताया कि रेड मीट अच्छी गुणवत्ता वाले प्रोटीन के साथ ही लौह एवं जस्ता जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

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