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दिल्ली हाईकोर्ट में रकुल प्रीत सिंह बोलीं- मैं न शराब पीती हूं और न धूम्रपान करती हूं

Rakul Preet Singh

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को सूचना और प्रसारण मंत्रालय समेत अन्य को बड़ा निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि अभिनेत्री रकुल प्रीत सिंह को मीडिया द्वारा फॉलो किए जाने से रोके। इसके साथ ही रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर 15 अक्टूबर तक एक स्टेटस रिपोर्ट मंत्रालय दायर करे।

मंत्रालय और अन्य लोगों को अभिनेत्री रकुल प्रीत द्वारा दायर याचिका पर अदालत के पहले के आदेश के मद्देनजर उठाए गए कदमों के बारे में बताने के लिए भी कहा गया था।

इस याचिका में ड्रग मामले की जांच को लेकर मीडिया में चल रहे शो या उनके बारे में आर्टिकल प्रकाशित करने पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है। न्यायमूर्ति नवीन चावला ने मंत्रालय, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन को सुनवाई की अगली तारीख (15 अक्टूबर) तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

दिल्ली हाईकोर्ट में रकुल प्रीत सिंह बोलीं- मैं न शराब पीती हूं और न धूम्रपान करती हूं

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चल रही सुनवाई के दौरान रकुल प्रीत के वकील अमन हिंगोरानी ने दलील दी कि उनकी चिंताओं पर किसी भी वैधानिक निकाय ने कोई कदम नहीं उठाया है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के पास पर्याप्त शक्तियां हैं। जबकि जांच चल रही है ऐसे मे ऐसी खबरों को रोकना होगा।

हिंगोरानी ने अभिनेत्री के हवाले से कहा कि मुझे मामले में एक गवाह के रूप में बुलाया गया है। जबकि इस बारे में गलत खबरें फैलाई जा रही हैं कि मैं ड्रग्स लेती हूं और इसका स्टॉक करती हूं। जबकि मैं न शराब पीती हूं और धूम्रपान करती हूं। इस बीच एनबीए ने अपने वकील के माध्यम से कहा कि कई चैनल इसका हिस्सा नहीं हैं और जो हैं उन्हें इसके लिए जवाब देना होगा। रकुल की याचिका में कहा गया है कि मीडिया को कुछ संयम बरतने की जरूरत है। मीडिया को अफसरों से पहले ही जानकारी मिल जाती है, इससे उनके मुवक्किल की प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है।

अधिवक्ता हिमांशु यादव, अमन हिंगोरानी और श्वेता हिंगोरानी के माध्यम से दायर की गई याचिका में दावा किया गया है कि रकुल प्रीत 20 सितंबर को टीवी पर खबर देखकर हैरान रह गईं कि एनसीबी ने उन्हें रिया चक्रवर्ती के ड्रग्स मामले को लेकर चल रही जांच में 24 सितंबर को मुंबई में पेश होने के लिए कहा है। जबकि याचिकाकर्ता को उसके हैदराबाद या मुंबई के पते पर एनसीबी से ऐसा कोई समन नहीं मिला था।

बाद में याचिकाकर्ता के जांच में शामिल होने के लिए 23 सितंबर की शाम को मुंबई पहुंचने की भी झूठी खबर चलाई गई। जबकि वॉट्सऐप के जरिए उन्हें 24 सितंबर को समन मिला।

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