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किसानों ने की ‘मोदी गद्दी छोड़ो’ आंदोलन की शुरुआत

कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है, किसानों ने अपना प्रदर्शन तेज कर दिया है इस बीच किसानों ने ‘मोदी गद्दी छोड़ो’ अभियान छेड़ा है।किसानों के इस आह्वान का आने वाले दिनों में देश की राजनीति पर गहरा असर देखने को मिल सकता है, जिसकी शुरुआत पंजाब और उत्तर प्रदेश से हो सकती है। 9 अगस्त को देश में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की स्मृति के रूप में मनाया जाता है। और इसी को जहन में रखते हुए किसानों ने ‘मोदी गद्दी छोड़ो’ आंदोलन की शुरुआत की है।

बता दें कि किसान दिल्ली की दहलीजों पर बीते करीब 9 महीने से मोदी सरकार द्वारा लाए गए उन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। इन दिनों किसान जंतर मंतर पर किसान संसद का भी आयोजन कर रहे हैं, जहां कई राज्यों से आए किसान अपनी बाते रख रहे हैं।

9 अगस्त को देश में स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की स्मृति के रूप में मनाया जाता है। 1942 में 9 अगस्त को ही अंग्रेजी शासन के खिलाफ इस आंदोलन की शुरुआत हुई थी, जिसके बाद अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था और अंतत: देश 1947 में स्वतंत्र हुआ था। इसी स्मृति को जहन में रखते हुए किसानों ने ‘मोदी गद्दी छोड़ो’ आंदोलन की शुरुआत की है।

ध्यान रहे कि देश के किसान दिल्ली की दहलीजों पर बीते करीब 9 महीने से मोदी सरकार द्वारा लाए गए उन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं जो सरकार ने बिना किसानों से विमर्श किए और संसदीय गरिमा को ताक पर रखकर बनाए हैं। हालांकि इन 9 महीनों के शुरुआती महीनों में किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हुई थी लेकिन नतीजा सिफर ही रहा। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इन विवादित कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगी हुई है, लेकिन सरकार ने किसानों से बातचीत बंद कर दी है और इन कानूनों को वापस लेने के संबंध में मुंह सिल रखा है।

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किसान कृषि कानूनों की वापसी से कम पर किसी भी समझौते को तैयार नहीं हैं। देश के किसानों की 40 से ज्यादा यूनियनों और संगठनों के साझा मंच संयुक्त किसान मोर्चा इन कानूनों के खिलाफ देश भर में विरोध कर रहा है और ‘मोदी गद्दी छोड़ो’ अभियान किसानों का नया अभियान है।

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