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ये कांवड़िया, शिक्षक से बनीं मां कृष्णा बम, पुलिस का घेरा रहता मौजूद

Krishna

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देवघर: भगवान भोलेनाथ को प्रिय सोमवार को तो श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ता है वहीं सावन के महीने में शिवालयों में शिवभक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। झारखंड के देवघर में बाबा वैद्यनाथ के दरबार में भी भक्तों का भीड़ देखने को मिलती है। बिहार की मुजफ्फरपुर की रहने वाली शिक्षिका कृष्णा रानी उर्फ मां कृष्णा (Krishna) बम 68 साल की है। वो हर रविवार को सुल्तानगंज से जल उठाती हैं और झारखंड के देवघर के लिए रवाना हो जाती हैं। कृष्णा बम 108 किलोमीटर के मुश्किल भरे रास्ते को 15 से18 घंटे में पूरा कर लेती हैं। इनके साथ पूरे यात्रा के दौरान पुलिस का घेरा भी मौजूद रहता है।

कृष्णा बम जब सावन के महीने में देवघर के लिए निकलती हैं तो उन्हें देखने और उनसे आर्शीवाद लेने के लिए रास्ते में हजारों लोग कतार में लगे रहते हैं। वे सावन के हर सोमवार को सुल्तानगंज से डाक बम के रूप में देवघर पहुंचती हैं और बाबा वैद्यनाथ का जलाभिषेक करती हैं।

बता दें कि सामान्य कांवड़िए कांवड़ यात्रा के दौरान जहां चाहे रुककर आराम कर सकते हैं। आराम करने के लिए कई जगह पंडाल लगे होते हैं, जहां वह विश्राम करके फिर से यात्रा को शुरू करते हैं। लेकिन डाक कांवड़िए कांवड़ यात्रा की शुरूआत से शिव के जलाभिषेक तक बिना रुके लगातार चलते रहते हैं। उनके लिए मंदिरों में विशेष तरह के इंतजाम भी किए से जाते हैं। जब वो आते हैं हर कोई उनके लिए रास्ता बनाता है। ताकि शिवलिंग तक बिना रुके वह चलते रहें।

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