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बच्चों के रोने से न हों परेशान, यह बेहतर विकास में सहायक : रिसर्च

बच्चों के रोने से न हों परेशान

बच्चों के रोने से न हों परेशान

नई दिल्ली। दुधमुंहे बच्चे कई बार रो-रोकर पूरा घर ही सिर पर उठा लेते हैं। बच्चे के रोने की आवाज सुनकर मां सहित परिवार के हर सदस्य का दिल भारी हो जाता है।

शिशुओं के कुछ देर रोने से उनकी शारीरिक और मानसिक क्षमता होती है बेहतर

ऐसे में हर कोई बच्चों को चुप कराने और उसे बहलाने, फुसलाने की पूरी कोशिश करता है, लेकिन कई बार इसके बावजूद भी जब बच्चा चुप नहीं होता है तो कई बार मन में खीझ भी पैदा होती है, लेकिन अब आपको इसे लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि एक नए शोध में कहा गया है कि शिशुओं को कुछ देर रोने देना चाहिए, क्योंकि इससे आगे चलकर उनकी शारीरिक और मानसिक क्षमता बेहतर होती है।

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तीन महीने से 18 महीने की उम्र वाले बच्चे को कुछ देर तक रोने देना चाहिए

तीन महीने से 18 महीने की उम्र वाले बच्चे को कुछ देर तक रोने देना चाहिए। उनके रोने पर अगर आप तुरंत उसके पास पहुंच जाते हैं, तो यह उसके विकास पर असर डाल सकता है। यह दावा ब्रिटेन की वारविक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की ताजा शोध में किया गया है।

इसके मुताबिक जन्म से लेकर डेढ़ साल की उम्र तक के बच्चों को अगर रोते हुए छोड़ दिया जाए, तो उनकी मानसिक और शारीरिक क्षमता मजबूत होती है। इसके साथ ही वे धीरे-धीरे आत्म-अनुशासन भी सीख जाते हैं। हालांकि जब बच्चे रो रहे हों, तो उन पर नजर बनाए रखनी चाहिए।

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बच्चों के रोने के तरीकों, व्यवहार और इस दौरान माता-पिता की प्रतिक्रिया के अध्ययन के लिए सात हजार से ज्यादा बच्चों और उनकी माताओं का अध्ययन किया। कुछ अंतराल के बाद लगातार मूल्यांकन किया गया कि जब बच्चे रोते हैं, तो क्या माता-पिता तुरंत हस्तक्षेप करते हैं या बच्चे को कुछ देर या अक्सर रोने देते हैं।

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