लखनऊ। कभी उत्तर प्रदेश के गांवों में शाम ढलते ही अंधेरा तेजी से फैल जाता था। घरों में टिमटिमाती रोशनी, बढ़ते बिजली बिल और अनिश्चित सप्लाई लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा थे। लेकिन योगी सरकार (Yogi Government) ने राज्य की ऊर्जा कहानी को बदलने का दृढ़ निश्चय किया। लक्ष्य सिर्फ बिजली देना नहीं था बल्कि प्रदेश के हर घर तक एक नई रोशनी, नई उम्मीद और नई समृद्धि पहुंचाना था। यही सोच आगे चलकर एक ऐसी क्रांति बनी, जिसने उत्तर प्रदेश को सौर ऊर्जा (Solar Energy) उत्पादन में राष्ट्रीय पटल पर तीसरे स्थान पर ला खड़ा किया। आज गांवों की छतों पर चमकते सोलर पैनल न सिर्फ बिजली पैदा कर रहे हैं, बल्कि नए भारत की परिकल्पना को साकार भी कर रहे हैं।
जब योजना शुरू हुई तो अंदाजा नहीं था कि जनता का इतना जबरदस्त समर्थन मिलेगा। लेकिन रिकॉर्ड बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में कुल 13,46,040 आवेदन प्राप्त हुए। यह स्वयं दिखाता है कि लोग बदलाव के लिए कितने तत्पर थे। मात्र 18 महीनों में 2,81,769 सोलर रूफटॉप (Solar Rooftop) संयंत्रों का इंस्टॉलेशन और पिछले 4.5 महीनों में रिकॉर्ड 1,30,000 संयंत्रों की स्थापना ने उत्तर प्रदेश को महाराष्ट्र और गुजरात के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक राज्य बना दिया।
प्रदेश में 976.21 मेगावॉट रूफटॉप सोलर कैपेसिटी(Rooftop Solar Capacity) स्थापित हो चुकी है। यह उपलब्धि न सिर्फ तकनीकी है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी परिवर्तनकारी है। सौर ऊर्जा योजना अब तक 2,85,025 उपभोक्ताओं के लिए वरदान साबित हुई है। जहां पहले प्रति घर 1500 रुपये तक का बिजली बिल आता था, वहीं अब सोलर रूफटॉप की वजह से हर महीने काफी बचत हो रही है। ऐसे में इससे एक साधारण परिवार के लिए आर्थिक स्थिरता और भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में यह बचत खेती-किसानी में सहारा बन रही है, जबकि शहरी इलाकों में बिजली पर निर्भर छोटे उद्यमों को नया जीवन मिल गया है।
सौर ऊर्जा (Solar Energy) क्रांति ने सिर्फ रोशनी नहीं फैलाई बल्कि इसने रोजगार के विशाल द्वार भी खोले। अकेले उत्तर प्रदेश में 54,000 से अधिक युवाओं को सीधा रोजगार मिला है। देशभर में सोलर मॉड्यूल निर्माण, इन्वर्टर, वायरिंग, लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन जैसे क्षेत्रों में लाखों नौकरियां सृजित हुईं। साफ है कि यह योजना ऊर्जा के साथ-साथ रोजगार का भी उजाला लेकर आई है।
मुफ्त बिजली, घरेलू बचत और रोजगार, इन तीन स्तंभों पर आधारित यह योजना अगले 25 वर्षों में प्रदेश की GDP में हजारों करोड़ रुपये का अतिरिक्त योगदान देगी। ऊर्जा लागत में कमी ने छोटे व्यापारों और स्टार्टअप्स को प्रतिस्पर्धा में और मजबूत बना दिया है। रोजाना 40 लाख यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन हो रहा है। यह सालाना करोड़ों यूनिट ऊर्जा उत्पादन के बराबर है और कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी लाता है। जितनी कमी कई करोड़ पेड़ों के बराबर पर्यावरणीय लाभ देती है। वाराणासी के रहने वाले श्वसन रोग विशेषज्ञ और पीएम सूर्य घर के तहत सोलर संयंत्र का उपयोग कर रहें डॉ एस के श्रीवास्तव का कहना है कि बिजली और पैसों की बचत के साथ सोलर लगाने पर सरकार द्वारा मिल रही सब्सिडी सोने पर सुहागा है। राज्य सरकार की ये योजना ऐसे ही चलती रही तो आने वाले समय में पर्यावरण सुरक्षा के साथ ही श्वास के रोगियों की संख्या में भी कमी आएगी। वहीं दनियालपुर के रहने वाले इम्तियाज़ अहमद ने बताया कि योगी सरकार इस पर सब्सिडी नहीं देती तो सोलर संयंत्र लगवा पाना मुश्किल था।
सौर पार्क (Solar Park) बनाने के लिए जहां 4000 एकड़ भूमि की आवश्यकता थी, उसे संरक्षित रख कर बड़ा कदम उठाया गया। यह भूमि कृषि, जल संरक्षण, उद्योग और अन्य सार्वजनिक हितों के लिए सुरक्षित रहेगी। जाहिर है कि ये विकास और पर्यावरण का संतुलित मॉडल है।

