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चैत्र नवरात्रि का आज पांचवा दिन, मां स्कंदमाता की करें पूजा, देखें विधि

Chaitra Navratri

Chaitra Navratri

लखनऊ: नवरात्रि के पावन दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) के पांचवे दिन मां स्कंदमाता (Maa Skandmata) की पूजा होती है। आज बुधवार को मां स्कंदमाता की पूजा की जाएगी। मान्यता है कि स्कन्दमाता भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। मां अपने भक्तों पर पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां की उपासना से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। मां का स्मरण करने से ही असंभव कार्य संभव हो जाते हैं।

मां स्कंदमाता का स्वरूप

स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं, यही कारण कि मां को पद्मासना देवी भी कहा जाता है। मां स्कंदमाता को पार्वती एवं उमा नाम से भी जानते हैं। मां की उपासना से संतान की प्राप्ति होने की मान्यता है। मां का वाहन सिंह है। मां स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं।

स्कंदमाता पूजा विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।
स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
मां को रोली कुमकुम भी लगाएं।
मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं।
मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें।
मां की आरती अवश्य करें।

मां का भोग

मां को केले का भोग अति प्रिय है। मां को खीर का प्रसाद भी अर्पित करना शुभ होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। मां को विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है। मां की उपासना से अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है।

स्कंदमाता का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

स्कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता
सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं
कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति
अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो
इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई

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