कोरोना संकट के बीच देश इस वक्त महंगाई एवं बेरोजगारी से बुरी तरह से जूझ रहा है, ऐसे में विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर है। न्यूज 24 की एक डिबेट में पत्रकार संदीप चौधरी ने 2 करोड़ रोजगार के वादे को याद करवाया तो भाजपा प्रवक्ता गोपाल अग्रवाल तमाम तर्क देने लगे। बेरोजगारी को बड़ी समस्या मानते हुए अग्रवाल ने कहा- सिर्फ सरकारी नौकरी ही नौकरी नहीं है, सरकार सबको सरकारी नौकरी नहीं दे सकती।
उन्होंने कहा- हर दिन 37 किमी सड़क बन रही है, वहां भी रोजगार पैदा हो रहे हैं, जो लोग पहले नौकरी करते थे वह अब स्वयं का रोजगार करने लगे हैं। उन्होंने अभ्यर्थियों को ही कटघरे में खड़ा करते हुए कहा- हम कोई भर्ती क्लीयर भी करना चाहते हैं तो कुछ लोग कोर्ट पहुंच जाते हैं।
17वीं लोकसभा का चुनाव अंतिम दौर में है। सबको 23 मई का इंतजार है. इस दिन नतीजे आएंगे. इस चुनाव में एक शब्द की चर्चा खूब हुई। दो करोड़ जॉब। विपक्ष ने लगभग हर रैली में पीएम मोदी और बीजेपी को इस मुद्दे पर घेरा। चुनाव शुरू होने से पहले भी कांग्रेस ने हर साल दो करोड़ जॉब के वादे को पूरा नहीं कर पाने के मुद्दे पर पीएम मोदी को घेरा. संसद से लेकर सड़क तक इसकी चर्चा हुई। कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी रैलियों में बार-बार कहा कि पीएम मोदी ने दो करोड़ जॉब का वादा किया था, लेकिन पूरा नहीं किया।
संविधान के अनुच्छेद 348 में संशोधन के लिए याचिका की तैयारी
लगभग हर इंटरव्यू में पीएम मोदी से रोजगार के मुद्दे पर सवाल पूछे ग। उन्होंने अपने हिसाब से इसका जवाब भी दिया. लेकिन क्या वाकई में पीएम मोदी या बीजेपी ने हर साल दो करोड़ जॉब देने का वादा किया था। अगर वादा किया था तो कब किया था? आखिर 2 करोड़ जॉब की बात कहां से आई?