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विजय दिवस : भारत से 16 दिसंबर 1971 को मिला करारा जख्म कभी नहीं भूलेगा पाक

विजय दिवस

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नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच अभी तक चार युद्ध हो चुके हैं। इसमें 1947-48, 1965, 1971 और 1999 का युद्ध है, लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 1971 की जंग का अपना अलग ही स्थान रखता है। इस युद्ध में दुनिया को एक नया देश मिला जिसे हम सब बांग्लादेश के नाम से जानते हैं।

हर सैनिक जो उस भाारत-पाकिस्तान की जंग में शामिल हुआ था उसका सीना गर्व से हो जाता है चौड़ा 

16 दिसंबर 1971 वह तारीख है जिसके बारे में सोचकर आज भी हर भारतीय फक्र महसूस करता है। बता दें कि हर सैनिक जो उस भाारत-पाकिस्तान की जंग में शामिल हुआ था उसका सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। इसी दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए। तभी से इस दिन को भारत में हर साल 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को ऐसी धूल चटाई, जिसका डर पाकिस्तान को नींद में भी डराता होगा

भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को ऐसी धूल चटाई। जिसका डर पाकिस्तान को नींद में भी डराता होगा। भारत ने पाकिस्तान को एक ऐसी चोट दी थी जिसका दर्द पाकिस्तान कभी भी नहीं भूल पाएगा। 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के कुल 93,000 सैनिकों को सशस्त्र भारतीय सेना के शौर्य के सामने घुटने टेकने पड़े थे। इसी के बाद पूर्वी पाकिस्तान कहे जाने वाले इस जमीन के टुकड़े को नया नाम बांग्लादेश मिला ।

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16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के तत्कालीन सैनिक तानाशाह याहिया खान का आतंक खत्म, दुनिया में एक स्वतंत्र देश बाग्लादेश सामने आया

बता दें कि पाकिस्तान के तत्कालीन सैनिक तानाशाह याहिया खान ने 25 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान में जन भावनाओं को कुचलने का आदेश दिया था। इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने क्रांतिकारी नेता शेख़ मुजीब को गिरफ़्तार कर लिया गया। जिससे डरकर कई शरणार्थी लगातार भारत आने लगे। पाकिस्तानी सेना वहां की जनता पर लगातार दुर्व्यवहार कर रही थी। इससे भारत पर दबाव पड़ा कि तुरंत वहां पर सेना भेजकर हस्तक्षेप करे।

अंतत: भारत ने पूर्वी पाकिस्तान पर हमला कर दिया और हमेशा के लिए इस जमींन पर पाकिस्तान का आतंक खत्म हुआ। इसके साथ दुनिया में एक स्वतंत्र देश बाग्लादेश सामने आया।

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