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उत्तराखंड में हिन्दी को बुलंद कर रहे दक्षिण के अफसर

दक्षिण भारत के जिन राज्यों में हिन्दी बोलने वालों की तादाद बहुत अधिक नहीं है, वहीं के अफसर उत्तराखंड में भाषा का झंडा बुलंद कर रहे हैं। नौकरी करते हुए पिछले कुछ वर्षों में उनकी हिंदी बहुत बेहतर हो चुकी है। इनमें से ज्यादातर अफसर अंग्रेजी में पारंगत हैं, लेकिन कामकाज में हिन्दी को तवज्जो देते हैं। कुछ अफसरों की हिन्दी तो इतनी बेहतर हो चुकी है कि उसे सुनकर अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि उनका बचपन गैर हिन्दी क्षेत्र में गुजरा है।

शिक्षा सचिव डॉ. आर मीनाक्षी सुंदरम की गिनती प्रदेश में दक्षिण भारत के सबसे बेहतर हिन्दी बोलने वाले अफसरों में होती है। पिछले कई वर्षों से राज्य में सेवा दे रहे सुंदरम हिन्दी में पूरी तरह पारंगत हो चुके हैं। हिन्दी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं पर उनकी अच्छी पकड़ है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड आने के बाद उनकी हिन्दी पहले से काफी बेहतर हुई है। ज्यादातर अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ हिन्दी में ही संवाद होता है, जिससे भाषा में सुधार हुआ है। उनके परिवार के लोग भी अच्छी हिन्दी बोलते हैं।

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जिलाधिकारी और स्मार्ट सिटी सीईओ के तौर पर सेवाएं दे रहे डॉ. आर राजेश कुमार हिन्दी में खासे दक्ष हैं। तमिलनाडू के मूल निवासी होने के बावजूद हिन्दी पर उनकी बहुत अच्छी पकड़ है। कामकाज में भी ज्यादातर वह हिन्दी का ही इस्तेमाल करते हैं। उनका बचपन देश के अलग-अलग हिस्सों में बीता। यही कारण है कि उनकी भाषा पर कई राज्यों का प्रभाव है। उन्होंने बताया कि सिर्फ वही नहीं बल्कि उनके परिवार के सभी लोग अच्छी हिन्दी बोलते और समझते हैं।

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