नई दिल्ली। आज से ठीक तीन साल पहले 18 सितंबर को उरी हमला हुआ था। सुबह साढ़े पांच बजे आतंकवादियों ने जम्मू कश्मीर के उरी में स्थित भारतीय सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर पर हमला कर दिया था।
18 सितंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी कैंप में सुबह 5.30 बजे जैश-ए-मोहम्मद के चार आतंकवादियों ने भारतीय सेना के ब्रिगेड हेडक्वॉटर्स पर हमला कर दिया। इस हमले में 19 जवान शहीद हो गए और कई जवान घायल हो गए। बता दें कि आतंकवादियों ने तीन मिनट में 17 हैंड ग्रेनेड फेंके। उसके बाद आतंकवादियों के साथ सेना की छह घंटे तक मुठभेड़ चली और चारों आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया गया।
भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक से ऐसे लिया उरी हमले का बदला
उरी हमले के ठीक 10 दिन बाद भारत ने पाक को सबक सिखाने की योजना बनाई और 150 कमांडोज की मदद से सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया। ये पहला मौका था जब आतंकियों के खिलाफ दुश्मन की सीमा में घुसकर सेना ने ऑपरेशन को अंजाम दिया। भारतीय सेना के जवान पूरी प्लानिंग के साथ 28-29 सितंबर की आधी रात पीओके में सीमा में तीन किलोमीटर अंदर घुसे और आतंकियों के ठिकानों को तहस-नहस कर डाला।
सर्जिकल स्ट्राइक की वह रात का वाकया…
28 सितंबर की आधी रात घड़ी में 12 बज रहे थे। तभी MI 17 हेलिकॉप्टरों के जरिए 150 कमांडोज को LoC के पास उतारा गया। यहां से चार और नौ पैरा के 25 कमांडो पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हुए और पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया।
घोर अंधेरा और अनजान जगह होने के कारण सैनिकों पर चारों ओर से खतरा बना हुआ था, लेकिन कमांडोज आगे बढ़े और पाकिस्तानी सेना की ओर से फायरिंग की आशंका के बीच करीब तीन किलोमीटर का फासला रेंगकर तय किया।
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देश में तबाही मचाने के लिए आतंकियों के कई लांच पैड्स भिंबर, केल, तत्तापानी और लीपा इलाकों में स्थित थे। कमांडोज इतनी खामोशी से इन इलाकों में पहुंचे कि पाकिस्तानी सेना को भारत के इस कदम का कोई आभास नहीं हुआ। हमले से पहले आतंकियों के लॉन्चिंग पैड्स पर खुफिया एजेंसियां हफ्तेभर से नजर बनाए हुए थीं। रॉ और मिलिट्री इंटेलिजेंस पूरी मुस्तैदी से आतंकवादियों की हर हरकत पर नजर रखे हुए थी। सेना ने हमला करने के लिए कुल छह कैंपों का लक्ष्य रखा था।
हमले के दौरान इनमें से तीन कैंपों को पूरी तरह तबाह कर दिया गया। कमांडोज तवोर और M-4 जैसी राइफलों, ग्रेनेड्स, स्मोक ग्रेनेड्स से लैस थे। इसके साथ ही उनके पास अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर, रात में देखने के लिए नाइट विजन डिवाइसेज और हेलमेट माउंटेड कैमरा भी थे।
38 आतंकियों की मौत के घाट उतार कर किया बदला
कमांडोज ने वहां घुसकर बिना मौका गंवाए आतंकियों पर ग्रेनेड फेंक दिया। अफरातफरी फैलते ही स्मोक ग्रेनेड के साथ ताबड़तोड़ फायरिंग की। देखते ही देखते 38 आतंकवादियों को मार गिराया गया। हमले में पाकिस्तानी सेना के दो जवान भी मारे गए। इस ऑपरेशन में हमारे दो पैरा कमांडोज भी लैंड माइंस की चपेट में आने से घायल हुए थे। रात साढ़े 12 बजे शुरू हुआ ये ऑपरेशन सुबह साढ़े चार बजे तक चला। दिल्ली में इस ऑपरेशन पर सेना मुख्यालय से रात भर नजर रखी गई।
डिनर में जाने की बजाय यह तीनों रात आठ बजे सीधे सेना मुख्यालय में मौजूद वार रूम में पहुंच गए
राजधानी दिल्ली में शाम को कोस्टगार्ड कमांडर कॉफ्रेंस का डिनर रखा गया था, जिसमें तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, NSA अजित डोभाल और तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग को जाना था। डिनर में जाने की बजाय यह तीनों रात आठ बजे सीधे सेना मुख्यालय में मौजूद वार रूम में पहुंच गए। तब सेना प्रमुख दलबीर सुहाग ने इस ऑपरेशन की तारीफ करते हुए कहा था कि सेना ने अपने वादे का पालन किया और चुनी हुई जगह और समय पर इसका जवाब दिया।
सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान रात में तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ऑपरेशन की निगरानी करते रहे। इस दौरान ऑपरेशन की जानकारी लगातार प्रधानमंत्री मोदी को भी दी जा रही थी। अजित डोभाल ने रात ही में अपनी अमेरिकी समकक्ष सूसन राइस से भी बातचीत कर उनको भरोसे में लिया।