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यूपी एसटीएफ ने बाराबंकी से की धरपकड़

UP STF raids Barabanki

UP STF raids Barabanki

 यूपी एसटीएफ ने समावेश म्यूचुअल बेनीफिट निधि लि. कम्पनी बनाकर कम्पनी में इनवेस्ट करने पर 60 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देने का प्रलोभन देकर करोड़ो रुपए इनवेस्ट कराकर ठगी करने वाले संगठित गिरोह के सरगना सहित दो आरोपियों को बाराबंकी से गिरफ्तार है।

पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि गिरफ्तार अभियुक्तों में विक्रम प्रताप सिंह उर्फ अंकुर निवासी ग्राम अजईमऊ थाना टिकैतनगर तहसील रामसनेही घाट बाराबंकी। (डायरेक्टर समावेश म्यूचुअल बेनी फिट निधि लि0 कम्पनी) और विक्रम विकाश सिंह निवासी ग्राम अजईमऊ थाना टिकैतनगर तहसील रामसनेही घाट जनपद बाराबंकी (डायरेक्टर समावेश म्यूचुअल बेनी फिट निधि लि0 कम्पनी) हैं। इनके पास से लैपटाप, 4 मोबाइल, कम्प्यूटर, 2 रजिस्टर, 2 कलेक्शन डायरी व 1100 रुपये नकद बरामद हुए हैं।

दरअसल, समावेश म्यूचुअल बेनीफिट निधि लि0 कम्पनी बनाकर कम्पनी में इनवेस्ट करने पर 60 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देने का प्रलोभन देकर करोड़ो रुपए इनवेस्ट कराकर ठगी करने वाले संगठित गिरोह के विरूद्ध थाना रामसनेहीघाट, बाराबंकी में केस दर्ज किया गया था। इसी केस में एसटीएफ को सूचना मिली कि इस गैंग के सरगना सहित अन्य रामसनेही इलाके में हैं। इस सूचनार पर दोनोें अभियुक्तों को रामसनेहीघाट से गिरफ्तार कर लिया गया।

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पूछताछ में गिरफ्तार गैंग के सरगना विक्रम प्रताप सिंह उर्फ अंकुर ने बताया कि अप्रैल 2018 में मैं, मेरा छोटा भाई विक्रम विकाश सिंह व चन्दन सिंह ने मिलकर समावेश म्यूचुअल बेनी फिट निधि लि. कम्पनी बनायी इस कम्पनी में मै व मेरा भाई विकाश विक्रम सिंह डायरेक्टर थे व चन्दन सिंह मैनेजिंग डायरेक्टर था। इसके अतिरिक्त सचिन त्रिपाठी सीईओ, शशि प्रकाश पाण्डेय फाईनेन्शियल हेड, अखिलेश सिंह रिकवरी हेड, हिमांसू त्रिपाठी एफ0डी0 हेड, लक्ष्मीकान्त वर्मा लोन डिपार्टमेण्ट हेड, उमेश सिंह जनरल मैनेजर, संदीप तिवारी असिस्टेन्ट जनरल मैनेजर, अभिषेक नाग कम्प्यूटर आपरेटर, आरिफ व सचिन आदि एजेन्ट थे। हमारी कम्पनी में चन्दन सिंह द्वारा ऐजेन्ट बनाये जाते थे। एजेन्टों द्वारा जो भी रूपया कम्पनी में जमा कराया जाता था उसका 5 प्रतिशत कमीशन के तौर पर ऐजेन्टो को दिया जाता था, इन्ही एजेन्टों द्वारा आरडी पर 15 से 20 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से व एफडी पर 60 प्रतिशत वार्षिक व्याज की दर से, ब्याज मिलने का प्रलोभन देकर रुपए इनवेस्ट कराये जाते थे। जब कम्पनी में करोडों रुपए जमा हो गये तो हम लोगों ने कम्पनी का आफिस बन्द कर दिया व इनवेस्टर को रुपए देना भी बन्द कर दिया। कम्पनी मे जमा हुए रूपयों को हम लोगों ने आपस में बांट लिया। इस बात की जानकरी एजेन्टो को भी हो गयी जिसका लाभ उठाकर एजेन्टों द्वारा भी मार्केट से रुपए ले कर कम्पनी में जमा नही किये गये। जिस कारण कुछ समय बाद हमारे विरूद्ध मुकदमे पंजीकृत हो गये थे।

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