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यूपीः शाहजहांपुर कोर्ट में वकील की हत्या, मायावती ने योगी सरकार को घेरा

शाहजहांपुर। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में एक जिला अदालत के परिसर में एक वकील की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। वकील का शव कोर्ट की तीसरी मंजिल पर मिला है। साथ ही शव के पास से देसी पिस्टल भी मिली है। कोर्ट में कड़ी सुरक्षा के बीच एक वकील की हत्या से पुलिस और प्रशासन में हड़कंप मच गया है। घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस के आला अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। वहीं सुरक्षा व्यवस्था को लेकर वकीलों में बेहद गुस्सा है। मृतक की पहचान भूपेंद्र सिंह के रूप में की गई है। हालांकि, पुलिस अभी घटना के पीछे किसका हाथ यह पता लगा रही है।

घटना थाना सदर बाजार क्षेत्र के कोर्ट परिसर की है। जहां वकील तीसरी मंजिल पर स्थित रिकॉर्ड रूम में थे, अचानक से तेज आवाज हुई और वह जमीन पर गिर पड़े।  गोली चलते ही कोर्ट परिसर में अफरा-तफरी मच गई। जिस वक्त यह घटना हुई उस वक्त सभी कोर्ट का काम चल रहा था।

कोर्ट की तीसरी मंजिल पर हुई वारदात
घटना कोर्ट की तीसरी मंजिल पर हुई। बताया जा रहा है कि कुछ लोग कोर्ट के अंदर आए और वकील भूपेंद्र प्रताप सिंह के ऊपर देसी बंदूक से गोलियां बरसाकर फरार हो गए। वकील की कोर्ट परिसर में ही मौत हो गई।

मौके पर देसी तमंचा बरामद
सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची सदर पुलिस ने तमंचा बरामद कर लिया है। अपराध के पीछे के मकसद का अभी पता नहीं चल सका है। हालांकि वकीलों का कहना है कि यह मामला भूपेंद्र के लड़े जा रहे केसों से संबंधित हो सकता है।

घटना से वकीलों में गुस्सा
इस घटना के बाद वकीलों में गुस्सा फैल गया है। सूचना आग की तरह फैल गई और तमाम वकील मौके पर एकत्र हो गए। पुलिस ने शव का पोस्टमॉर्टम कराने के लिए भेज दिया है। मामले की जांच शुरू कर दी है।

शाहजहांपुर के पुलिस अधीक्षक एस आनंद ने कहा, शुरुआती खबरों के मुताबिक ऐसा लग रहा है कि युवक अकेला था। घटना के वक्त उसके आसपास कोई अन्य व्यक्ति नहीं देखा गया था। फोरेंसिक टीम अपना काम कर रही है। हत्या के वक्त की परिस्थितियां स्पष्ट नहीं हैं।

मायावती ने यूपी सरकार पर साधा निशाना

यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने हत्याकांड पर योगी सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि यूपी के जिला शाहजहांपुर के कोर्ट परिसर में वकील की आज दिन दहाड़े हुई हत्या अति-दुखद व शर्मनाक जो यहां की भाजपा सरकार में कानून-व्यवस्था की स्थिति व इस संबंध में सरकारी दावों की पोल खोलती है। अब अन्ततः यही सवाल उठता है कि यूपी में आखिर सुरक्षित कौन? सरकार इस ओर समुचित ध्यान दे।

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