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काशी में 218 साल बाद टूटी परंपरा, नहीं हुआ भगवान जगन्नाथ रथयात्रा का भ्रमण

काशी में 218 साल बाद टूटी परंपरा

काशी में 218 साल बाद टूटी परंपरा

वाराणसी। कोरोना वायरस के कहर के कारण काशी में 218 साल पुरानी परंपरा टूट गई। काशी के लक्खा मेले में शुमार भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा नहीं निकाली गई। ट्रस्ट श्री जगन्नाथ जी के अध्यक्ष दीपक शापुरी ने बताया कि कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए रथयात्रा मेले को स्थगित किया गया है। बता दें कि पांच जून को होने वाले भगवान के स्नान में भी आम श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित था।

प्रबंधन और केन्द्र मिलकर करें रथ यात्रा का आयोजन

बता दें कि इससे पहले बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के आयोजन की अनुमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की बेंच ने ओडिशा सरकार ने सूचित किया कि वह मंदिर प्रबंधन और केन्द्र के साथ तालमेल करके रथ यात्रा के आयोजन के दौरान चीजों को सुगम बनाए। केन्द्र ने भी पीठ को सूचित किया कि नागरिकों के स्वास्थ्य से समझौता किये बगैर राज्य सरकार और मंदिर ट्रस्ट के सहयोग से रथ यात्रा का आयोजन किया जा सकता है।

इन शर्तों के साथ होगी रथ यात्रा

रथ यात्रा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो शर्तें रखीं हैं वह है,पुरी में प्रवेश द्वार बंद कर दिए जाएं, इसके अलावा रेलवे स्टेशन, बस अड्डा भी बंद कर दिए जाए। रथ यात्रा के समय पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया जाए। इसके अलावा एक रख को अधिकतम 500 लोग ही खींचेंगे।

टीवी चैनलों को मिली कवरेज की अनुमति

मंदिर में उन्ही पुजारियों को जाने की अनुमति होगी जो कोरोना नेगेटिव हैं। वहीं दो रथों के बीत कम से कम 1 घंटे का अंतर रखा जाए। लोग अपने-अपने घरों से इस यात्रा को देख सकें इसके लिए टीवी चैनलों को कवरेज की अनुमति दी जाए। वहीं ओडिशा सरकार रथ यात्रा में शामिल होने वाले प्रत्येक व्यक्ति की पूरी जानकारी रखे।

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