टोक्यो पैरालंपिक में SH6 वर्ग के पुरुष सिंगल्स फाइनल में हांग कांग के चू मान काई को हराते हुए भारत के कृष्णा नागर ने स्वर्ण पदक पर अपना कब्जा जमा लिया है। वह इस पैरालंपिक में स्वर्ण जीतने वाले कुल पांचवें भारतीय बने हैं। नागर ने दूसरा सेट गंवाने के बाद अंतिम और निर्णायक सेट में दमदार प्रदर्शन किया और स्वर्ण अपने नाम कर लिया। मुकाबले के तीनों ही सेट काफी रोमांचक रहे।
टोक्यो पैरालंपिक में यह भारत का 5वां गोल्ड मेडल है। टोक्यो पैरालंपिक में कृष्णा से पहले प्रमोद भगत (बैडमिंटन), मनीष नरवाल (निशानेबाजी), सुमित अंतिल (भालाफेंक) और अवनि लेखरा (निशानेबाजी) भारत को गोल्ड दिला चुके हैं। कृष्णा नागर पैरालंपिक खेलों में गोल्ड जीतने वाले सिर्फ 8वें भारतीय खिलाड़ी हैं। पैरालंपिक खेलों में भारत को पहला गोल्ड मुरलीकांत पेटकर ने 1972 में दिलाया था। इसके बाद देवेंद्र झाझरिया ने एथेंस ओलंपिक 2004 और रियो ओलंपिक 2016 में भालाफेंक में भारत को गोल्ड दिलाया। वहीं रियो खेलों में मरियप्पन थंगावेलु ने ऊंची कूद में स्वर्ण पदक जीता था।
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राजस्थान के जयपुर के रहने वाले 21 वर्षीय कृष्णा नागर ने अप्रैल में दुबई में पैरा बैडमिंटन अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में दो स्वर्ण पदक जीते थे। नागर ने एसएल6 क्लास में पदक जीता है जिसमें छोटे कद के खिलाड़ी खेलते हैं। जब कृष्णा महज 2 साल थे तभी डॉक्टर्स ने कह दिया था कि उनकी लम्बाई ज्यादा नहीं बढ़ेगी। घर में भाई-बहन, माता-पिता सभी की लंबाई सामान्य है, लेकिन कृष्णा नागर की लम्बाई 4.6 फीट से आगे नहीं बढ़ सकी।