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ज्येष्ठ माह के पहले मंगल पर मंदिर व सड़कें रहीं वीरान, न जयकारे गूंजे और न हुआ भंडारा

ज्येष्ठ माह का पहला मंगल

ज्येष्ठ माह का पहला मंगल

लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ज्येष्ठ महीने के पहले बड़े मंगल पर आज हनुमान मंदिर में न तो रात से भक्तों की लंबी लाईन लगी, न जयकारे गूंजे और न कहीं भंडारा हुआ।

पिछले लगभग 300 साल से ज्येष्ठ महीने के हर मंगलवार को हनुमान मंदिर में पूजा और शहर मे होने वाले भंडारे की परम्परा भी टूट गई

कोरोना संक्रमण को लेकर पिछले पचास दिन से जारी लाकडाउन के दौरान सभी मंदिरों के कपाट बंद हैं। इसलिए पिछले लगभग 300 साल से ज्येष्ठ महीने के हर मंगलवार को हनुमान मंदिर मे पूजा और शहर में होने वाले भंडारे की परम्परा भी टूट गई। राजधानी में 900 से ज्यादा छोटे बड़े मंदिर हैं जहां हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित है।

सादात अली खान ने बेटा होने की खुशी मे राजधानी के अलीगंज इलाके में हनुमान जी के मंदिर का निर्माण 1798 मे कराया

राज्य के अन्य शहरों में तो नहीं लेकिन लखनऊ में ज्येष्ठ महीने में पड़ने वाले मंगलवार का अपना ऐतिहासिक महत्व है जो इस शहर की गंगा जमुनी तहजीब से जुडा है। नवाब सादात अली खान को कोई औलाद नहीं थी। इसलिए उनकी मां आलिया बेगम ने हनुमान जी की पूजा की। नवाब सादात अली खान के घर ज्येष्ठ के महीने मे मंगलवार के दिन ही बेटा पैदा हुआ। आलिया बेगम ने बेटे का नाम मंगल रखा। सादात अली खान ने बेटा होने की खुशी मे राजधानी के अलीगंज इलाके में हनुमान जी के मंदिर का निर्माण 1798 मे कराया।

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चूंकि नवाब के घर बेटे ने जन्म लिया था इसलिए पूरे शहर मे भंडारा कराया गया और तभी से ज्येष्ठ महीने के हर मंगलवार को हनुमान मंदिर में पूजा और पूरे शहर में भंडारे की परम्परा शुरू हो गई। गर्मी के कारण भंडारे मे गुड़ और चना ही दिया जाता था, लेकिन बदलते समय के साथ भंडारे का सवरूप भी बदला। गुड़ चने से भंडारा पूरी सब्जी से ह़ोता हुआ चाऊमीन आइसक्रीम तक आ गया।

ज्येष्ठ महीने में हर मंगलवार को शहर मे 500 से ज्यादा जगह पर भंडारे हर साल हुआ करते हैं। अधिकतर गरीब परिवारों में मंगलवार के दिन चूल्हा नहीं जलता लेकिन इस साल ऐसा नहीं हुआ। राज्य सरकार ने लोगों और स्वयंसेवी संस्थाओं से भंडारे का आयोजन नहीं करने और भंडारे की सामग्री को कम्युनिटी किचन में देने की अपील की है ताकि लाकडाऊन के कारण बेरोजगार हो गये और  फुटपाथ पर जीवन बिता रहे लोगों की और जयादा मदद की जा सके। ज्येष्ठ महीने का मंगलवार और भंडारा लखनऊ के लोगों के लिए एक उत्सव की तरह होता है जिसे नहीं कर पाने का मलाल शहर के लोगों को लंबे समय तक रहेगा।

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