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तालिबानी सरकार: आतंकी मुल्ला हसन अखुंद की लीडरशिप मे 33 मंत्रियों में से 14 आतंकी

तालिबान की 33 मंत्रियों की सरकार में 14 आतंकी हैं। कई उपमंत्री और गवर्नर भी इनमें शामिल हैं। प्रधानमंत्री मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद, उसके दोनों उप प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर और मौलवी अब्दुल सलाम हनफी जैसे नाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की काली सूची में शामिल हैं। अमेरिकी इनामी  सूची में भी इनके नाम हैं। रक्षामंत्री मुल्ला याकूब, विदेश मंत्री मुल्ला अमीर खान मुत्तकी और डिप्टी शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई भी आतंकियों में हैं।

आतंकी मुल्ला हसन अखुंद की लीडरशिप में बनाया गया ये कैबिनेट 33 आतंकियों का है, जिसमें 30 मंत्री पश्तून समुदाय के हैं। हक्कानी नेटवर्क से 4 आतंकियों को मंत्री बनाया गया है जबकि हजारा समुदाय को मौका नहीं मिला है। अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान ने दावा किया था कि वो महिलाओं को अधिकार देगा लेकिन इस सरकार में एक भी महिला मंत्री नहीं है।
दुनिया तालिबान की सरकार को ‘आतंकी सरकार’ यूं ही नहीं कह रही है। मुल्ला हसन अखुंद जो प्रधानमंत्री बना है वो यूएन की टेरर लिस्ट में है यानी इंटरनेशनल आतंकी है। ये तालिबान के संस्थापकों में एक है और हैबतउल्ला अख़ुंदज़ादा का क़रीबी है। अगला नाम है मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर का जो उप-प्रधानमंत्री है, ये तालिबान के 4 संस्थापकों में से एक है और मुल्ला उमर का रिश्तेदार है। बरादर कई साल पाकिस्तान जेल में रहा है।

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इंटरनेशनल आतंकी सिराजुद्दीन हक़्क़ानी को गृह मंत्री बनाया गया है। सिराज आतंकी समूह हक़्क़ानी नेटवर्क का चीफ़ है और अमेरिका के मोस्ट वांटेड आतंकियों में शामिल है। अमेरिका ने इसपर 50 लाख डॉलर का इनाम रखा है। हक्कानी 2008 में काबुल में भारतीय दूतावास पर हमले में शामिल था। अगला नाम है मुल्ला याक़ूब का जो रक्षा मंत्री है। तालिबान संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा याकूब तालिबान के मिलिट्री कमीशन का चीफ़ है। आतंकी सरकार का अगला नाम है ख़ैरुल्लाह ख़ैरख़्वाह जो सूचना मंत्री है… ये अंतर्राष्ट्रीय घोषित आतंकी है और कई साल अमेरिका की गुआंतानामो बे जेल में रहा है।
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