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ये थीं भारत की पहली महिला पायलट सरला ठकराल, रूढ़िवादी समाज की बंदिशें तोड़ भरी उड़ान

भारत की पहली महिला पायलट सरला ठकराल

भारत की पहली महिला पायलट सरला ठकराल

नई दिल्ली। भारतीय समाज में महिलाओं के लिए हर तरफ बंदिशें की होती हैं। हांलाकि जब भी इन बंदिशों को तोड़कर लड़कियां आगें बढ़ी। तो उन्होंने इतिहास ही रचा है। बता दें कि आज से करीब 70-80 साल पहले ऐसा नहीं था। उस जमाने में महिलाओं को बहुद ज्यादा आजादी और न हीं उनको अपनी मर्जी का काम करने की इजाजत थी। ऐसे समय में अपने सपनों को साकार कर आकाश में उड़ने वाली सरला ठकराल पहली महिला बनीं हैं ।

सरला ठकराल  साल 1929 में पहली बार दिल्ली में खोले गए फ्लाइंग क्लब में विमान चालन का प्रशिक्षण लिया

बता दें कि सरला ठकराल का जन्म 15 मार्च को दिल्ली में हुआ था। उन्होंने साल 1929 में पहली बार दिल्ली में खोले गए फ्लाइंग क्लब में विमान चालन का प्रशिक्षण लिया। एक हजार घंटे का अनुभव भी लिया था। दिल्ली के ही फ्लाइंग क्लब में उनकी भेंट पीडी शर्मा से हुई जो उस क्लब में खुद एक व्यावसायिक विमान चालक थे। विवाह के बाद उनके पति ने उन्हें व्यावसायिक विमान चालक बनने का प्रोत्साहन दिया।

1936 में लाहौर का हवाई अड्डा उस ऐतिहासिक पल का गवाह बना, जब 21 वर्षीया सरला ठकराल ने जिप्सी मॉथ नामक दो सीट वाले विमान को उड़ाया

पति से प्रोत्साहन पाकर सरला ठकराल ने जोधपुर फ्लाइंग क्लब में ट्रेनिंग ली। 1936 में लाहौर का हवाई अड्डा उस ऐतिहासिक पल का गवाह बना। जब 21 वर्षीया सरला ठकराल ने जिप्सी मॉथ नामक दो सीट वाले विमान को उड़ाया था।

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साल 1939 सरला के लिए बहुत दुख भरा रहा। जब वह कमर्शियल पायलेट लाइसेंस लेने के लिए कड़ी मेहनत कर रही थीं, तब दूसरा विश्व युद्ध छिड़ गया। फ्लाइट क्लब बंद हो गया और फिर सरला ठकराल को अपनी ट्रेनिंग भी बीच में ही रोकनी पड़ी। इससे भी ज्यादा दुख की बात यह रही कि इसी साल एक विमान दुर्घटना में उनके पति का देहांत हो गया। जिसके बाद उनकी जिंदगी बदल गई।

सरला ठकराल  जिंदगी की दूसरी पारी में वह सफल उद्धमी और पेंटर बनीं

पति की मौत के समय वह लाहौर में थी तब उनकी उम्र 24 साल थी। वहां से सरला वापस भारत आ गईं। इसके बाद उन्होंने मेयो स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला ले लिया। जहां उन्होंने बंगाल स्कूल ऑफ से पेंटिंग सीखी और फाइन आर्ट में डिप्लोमा भी किया। भारत के विभाजन के बाद सरला अपनी दो बेटियों के साथ दिल्ली आ गई। यहां उनकी मुलाकात पीपी ठकराल से हुई। ठकराल ने उनके साथ साल 1948 में शादी कर ली। जिंदगी की दूसरी पारी में वह सफल उद्धमी और पेंटर बनीं। बता दें कि 15 मार्च 2008 को सरला ठकराल की मौत हो गई।

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