जम्मू। सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका सलीमुल्लाह नाम के शख्स ने दायर की है। याचिका में जम्मू में कैंप में रखे गए करीब 150 से अधिक रोहिंग्या मुसलमानों (Rohingya) को रिहा करने की मांग की गई थी।
जम्मू में कैंप में डिटेंशन सेंटर में रखे गए करीब 150 से अधिक रोहिंग्या मुसलमानों (Rohingya) को म्यांमार भेजने पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला देते हुए कहा कि इसमें कानून के तहत प्रक्रिया का पालन किया जाए। साथ ही कोर्ट ने डिटेंशन सेंटर में रखे गए रोहिंग्या (Rohingya) को हिरासत से रिहा करने की मांग को खारिज कर दिया।
Supreme Court pronounces order on a plea against detention of around 170 Rohingyas in Jammu last month & their possible deportation. CJI says that the Rohingyas shall not be deported unless a procedure for such deportation is followed; disposes off appeals filed in the case. pic.twitter.com/5TIfGajmAe
— ANI (@ANI) April 8, 2021
सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका सलीमुल्लाह नाम के शख्स ने दायर की है। याचिका में जम्मू में कैंप में रखे गए करीब 150 से अधिक रोहिंग्या मुसलमानों (Rohingya) को रिहा करने की मांग की गई थी। सलीमुल्लाह की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने सुनवाई के दौरान पिछले साल अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा था कि म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों की जान को खतरा है और ऐसे में इन लोगों को वहां डिपोर्ट करना मानवाधिकार का उल्लंघन है।
साथ ही याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि म्यांमार में अभी स्थिति खराब है। म्यांमार में सेना, रोहिंग्या बच्चे को मार रहे हैं और यौन प्रताड़ना हो रही है। जम्मू में हिरासत में लिए गए लोगों के पास रिफ्यूजी कार्ड है और उन्हें सरकार डिपोर्ट करने वाली है। इससे पहले पिछली सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा था कि वो केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को निर्देश देने की मांग कर रहे हैं कि जो रोहिंग्या हिरासत में रखे गए हैं, उन्हें रिहा किया जाए और वापस म्यांमार ना भेजा जाए।
प्रशांत भूषण ने कहा था कि रोहिंग्या (Rohingya) बच्चों की हत्याएं कर दी जाती है और उन्हें यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है तथा म्यांमार की सेना अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पालन करने में नाकाम रही है।