देश आज 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ने संसद की आलोचना की। उन्होंने लोगों का ध्यान सदन के भीतर कानूनों पर बहस के समय में कटौती पर दिलाया, कहा- पहले सदन के दोनो सदनों में समुचित बहस होती थी पर अब नहीं। उन्होंने कहा- बहस न होने के कारण ही कानूनों में खामियां और अस्पष्टता साफ नजर आती है, जनता के लिए भी असुविधा पैदा हो जाती है।
सीजेआई ने कहा- उचित बहस न होने के कारण जो कानून पास हुए वह कोर्ट के लिए सिरदर्दी बढ़ाने वाले हैं क्योंकि सारे मामले कोर्ट में ही आएंगे। गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले दिनों नए आईटी नियमों में खामिया बताते हुए इसके कुछ हिस्सों पर रोक लगा दिया, कहा- इसकी जरूरत ही नहीं।
सीजेआई ने कहा कि यदि आप उन दिनों सदनों में होने वाली बहसों को देखें, तो वे बहुत बुद्धिमानी भरा और रचनात्मक हुआ करते थे, साथ ही वे जो भी कानून बनाते थे उस पर बहस करते थे। लेकिन अब वह स्थिति नहीं रही। इसकी वजह से हम कानूनों में कई खामियां और अस्पष्टता देखते हैं।उन्होंने कहा कि कानूनों में कोई स्पष्टता नहीं है।
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हम नहीं जानते कि कानून किस उद्देश्य से बनाए गए हैं। यह सरकार के लिए बहुत सारे मुकदमेबाजी, असुविधा और नुकसान के साथ-साथ जनता को असुविधा पैदा कर रहा है। अगर सदनों में बुद्धिजीवी और वकील जैसे पेशेवर न हों तो ऐसा ही होता है।