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प्रतिभा को सलाम: कानपुर की हिमानी का अब सात समुंदर पार बज रहा है डंका

हिमानी का सात समुंदर पार बजा डंका

हिमानी का सात समुंदर पार बजा डंका

लखनऊ। बदलते दौर में अब महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी क्षमता से एक नई पहचान बनाने में सफल हो रही हैं। आज हम आपको कानपुर के बर्रा क्षेत्र में रहने वाली उस होनहार महिला की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने न सिर्फ सभी की भावनाओं को बेहतर तरीके से समझा और ​बल्कि अपने प्रतिभा के बलबूते पर दुनिया में खूब नाम कमा रही हैं। इस क्षमतावान महिला का नाम हिमानी है।

हिमानी के हैंडीक्राफ्ट सिर्फ दुकानों में ही नहीं बल्कि तकनीकी युग में पूरी दुनिया में धूम मचाया

बता दें कि एक वक़्त था जब हिमानी अपने उत्पाद को बेचने के लिए दुकानदारों के पास जाकर मार्केटिंग करती थी। इसके बावजूद दुकानदार अच्छे भाव देने में दिलचस्पी नहीं दिखाते थे, लेकिन अब हिमानी के हैंडीक्राफ्ट सिर्फ दुकानों में ही नहीं बल्कि तकनीकी युग में पूरी दुनिया में धूम मचाये हुए हैं।

हैंडीक्राफ्ट को ऑनलाइन और ऑफलाइन बेचने वाली हिमानी अपने संघर्ष के दिनों को याद किया

हैंडीक्राफ्ट को ऑनलाइन और ऑफलाइन बेचने वाली हिमानी अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताती हैं कि उनके पति की किडनी ट्रांसप्लांट हुई थी। इस वजह से उनका लेदर एक्सपोर्ट का व्यापार बंद हो गया था। उन दिनों मैं सिर्फ अपनी आर्थिक दिक्कतों को दूर करने का तरीका तलाश करने में लगी रहती थी, क्योंकि माह में कई बार हिमानी को पति की स्वास्थ्य सेवा के लिए दिल्ली जाना होता था। इसी दौरान नई दिल्ली स्टेशन के बाहर भगवान गणेश की मूर्तियां बिक रही थीं। जिनको हिमानी ने खरीद लिया, जिनकी कीमत लगभग 735 रुपये थी।

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दिल्ली से लौटने के बाद मूर्ति को लेकर कानपुर लौटने के बाद अपने बचपन के शौक सजाने-संवारने को ढंग देना शुरू किया। अपनी कोशिश से मूर्तियां मॉडीफॉइड की और उन्हें लोकल विक्रेताओं को दिया। जिससे उनको कुछ पैसों की बचत हुई।

लगभग 1000 रुपये पहला आर्डर कानपुर की एक आर्ट गैलरी से मिला

इसी शुरुआत के साथ उनको इस व्यापार में भविष्य नजर आने लगा और उन्होंने हेंडीक्राफ्ट बनाने और बनवाने की शुरुआत कर दी है। काम की शुरुआत के लिए धन की जरूरत सबसे ज्यादा थी। इसके लिए परिवार में बहुत सहयोग मिला, जिससे कारोबार की गाड़ी पहिया लुढ़कने लगा। हिमानी ने बताया कि अपने तैयार माल के आर्डर के लिए बहुत भाग-दौड़ करती थी। इस काम में हिमानी ने बताया कि हमारे अस्वस्थ पति घर पर ही काम में सहयोग करने का प्रयास करते थे। जैसे माल की पैकिंग करना इत्यादि ।

हिमानी शुरुआती कठिनाइयों के बाद भी हिमंत नहीं हारी। अपने मजबूत विचार और कड़ी मेहनत अपने कार्य में लगी रहीं। इसी बीच उनको लगभग 1000 रुपये पहला आर्डर कानपुर की एक आर्ट गैलरी से मिला। हालांकि अपनी मेहनत की बदौलत हिमानी ने अपना पहला आर्डर पूरा किया।

एक कस्टमर की सलाह पर हिमानी ने www.ebay.com से शुरुआत की

अपने काम को विस्तार देने में लगी हिमानी के पास कोई बिजनेस का विशेष आईडिया नहीं था। इसलिए वह कानपुर में ही जद्दोजहद कर रही थी। इसी बीच उनके एक कस्टमर ने उनको ऑनलाइन सामान बेचने की सलाह दी। हिमानी को ये आईडिया बेहद पसंद और फिर उन्होंने www.ebay.com से शुरुआत की। जो लगभग अब हर www.indiamart.com, www. rediffmail.com पर उपलब्ध है।

हिमानी ने पहली बार जैसे ही अपनी डिटेल इंटरनेट पर शेयर किया तो सात समन्दर पार बैठी बहनों ने अपने प्यार को भाई की कलाई तक पहुंचाने के लिए हिमानी की बनाई हुई राखियां खरीदी। अब उनका बिजनेस दुनिया के तमाम हिस्सों में फैलने लगा। देशी-विदेशी​ बिक्री के बीच हिमानी को ऑस्ट्रेलिया में इंडियन ट्रेड फ़ेयर में भी प्रदर्शनी लगाने का मौका मिल चुका है।

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