नई दिल्ली। हाल ही में पीसीएसजे की परीक्षा क्वालीफाई कर संगीता गौड़ जज बन गईं हैं। संगीता ने घर और बाहर बड़ी-बड़ी चुनौतियों का सामना किया, लेकिन हर मुश्किल का उन्होंने डटकर सामना किया। उन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अपनी पढ़ाई जारी रखी।
आइए संगीता गौड़ के प्रेरणा दायक विचारों के बारे में जानते हैं
बता दें कि पहले के समय में बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर यह सोचती थी कि भाई बहन की रक्षा करेगा। वे चीजें उस समय में सही थीं, लेकिन अब समय बदल गया है। अब भाइयों को अगर मदद करनी ही है, तो उनकी उनकी शिक्षा में हेल्प करें, करियर को बेहतर बनाने में मदद करें। आज के समय में ऐसी बड़ी बहनें भी हैं, जो छोटे भाइयों को सपोर्ट करती हैं। वर्तमान समय में भाई-बहन के रिश्ते पहले से ज्यादा बेहतर हैं। भाई-बहन एक दूसरे को ज्यादा सपोर्ट करते हैं, एक दूसरे की फीलिंग, पसंद और इमोशन को समझते हैं।
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संगीता गौड़ ने बताया कि मैंने अपनी लाइफ में काफी संघर्ष देखे
संगीता गौड़ ने बताया कि मैंने अपनी लाइफ में काफी संघर्ष देखे। मैं देवरिया के बबनी गांव की रहने वाली हूं। मैं टिपिकल कोर्स नहीं करना चाहती थी, पत्रकार बनना चाहती थी। घरवालों ने मुझे मना किया और मैंने खुद को समझा लिया। मैं तीन बहनों में सबसे बड़ी थी, मुझ पर शुरू से ही शादी का दबाव था, लेकिन मैं शादी नहीं करना चाहती थी। शादी के बारे में लगातार बात होना, लड़के वालों का घर आना, इन चीजों से दूर जाने के लिए मैंने बीएचयू में एलएलबी में एडमिशन ले लिया। इस दौरान काफी मुश्किल हुई। कई बार सुविधा होते हुए भी स्ट्रेस की वजह से भूखी रही। हॉस्टल में कोई आपके लिए करने वाला नहीं होता। आप अपनी फेमिली को छोड़कर बाहर रह रहे होते हैं, अपनी हर चीज के लिए जिम्मेदार भी खुद ही होते हैं।
घरवालों के प्रेशर के आगे मैं टिपिकल अरेंज मैरिज करने को थी तैयार
इसके बाद मैंने वकालत की, जो मेरे लिए काफी मुश्किल थी। मैंने कड़कड़डूमा कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की। मैंने जल्दी-जल्दी काम सीखा। मैंने सोचा कि बार में रहते हुए अच्छा काम किया, लेकिन मैं जज बनकर और ज्यादा अच्छा कर सकती हूं। घर से शादी के लिए लगातार दबाव बना हुआ था। उस दौरान मेरी शादी के लिए लड़के देखे जा रहे थे, लेकिन लड़कों की तरफ से ना हो जाती थी, क्योंकि उन्हें मेरे लॉ करने से ऐतराज था। बहुत से परिवारों ने कहा कि उन्हें कानून पढ़ी हुई बहू नहीं चाहिए। मेरी वकालत को कोई सपोर्ट नहीं कर रहा था। मुझे इस बात को लेकर गुस्सा था कि मेरी फैमिली सपोर्ट नहीं कर रही थी। घरवालों के प्रेशर के आगे मैं टिपिकल अरेंज मैरिज करने को तैयार थी।
पीसीएस की परीक्षा दी खुशकिस्मती रही मैंने यह परीक्षा पास कर ली, परीक्षा पास करने के बाद स्थितियां पूरी तरह से बदल गईं
इसी दौरान मैं इलाहाबाद यूनिवर्सिटी आ गई और यहां रहकर मैंने तैयारी की। इसी दौरान मैंने पीसीएस की परीक्षा दी और खुशकिस्मती देखिए कि मैंने यह परीक्षा पास कर ली। यह परीक्षा पास करने के बाद स्थितियां पूरी तरह से बदल गईं। जज बनने के बाद मेरी फैमिली मेरे लिए सपोर्टिव हो गई। अब मेरा मन है कि अच्छे फैसले दूं, लोगों के साथ न्याय करूं और आगे चलकर हाईकोर्ट में भी जाऊं। मैं महिलाओं से यही कहना चाहूंगी कि अपनी लाइफ में जो करना चाहती हैं, उसके लिए दृढ़ प्रतिज्ञ रहें।