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रिवर फ्रंट घोटाला : यूपी, पश्चिमी बंगाल और राजस्थान में ताबड़तोड़ छापे

लखनऊ। सीबीआई की एंटी करप्शन टीमों ने एक साथ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के साथ गोरखपुर, गाजियाबाद, बरेली, गौतमबुद्धनगर, सीतापुर, बुलंदशहर, आगरा, रायबरेली व इटावा के साथ पश्चिम बंगाल और राजस्थान के कई जिलों में छापा मारा है। जांच टीम ने भाजपा विधायक राकेश सिंह बघेल के गोरखपुर स्थित ठिकानों पर भी दबिश दी। इटावा के ठेकेदार पुनीत अग्रवाल के घर को सीबीआई ने ताला लगाकर सीज कर दिया है। यहां से अहम दस्तावेज भी बरामद किए हैं।

सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में जांच के बाद सिचार्इं विभाग के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता रूप सिंह यादव, शिवमंगल यादव, चीफ इंजीनियर काजिम अली, असिस्टेंट इंजीनियर सुशील कुमार यादव समेत 190 लोगों के विरुद्ध नया केस दर्ज किया है। इस केस को दर्ज करने के बाद सीबीआइ ने कई टीमें गठित कर उत्तर प्रदेश के 14 जिलों के साथ राजस्थान के अलवर और पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 42 स्थानों पर व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया। सोमवार तड़के शुरू हुआ अभियान देर रात तक जारी रहा। सीबीआइ अधिकारियों ने बताया कि एफआईआर में तत्कालीन इंजीनियरों सहित उत्तर प्रदेश सरकार के 190 अधिकारियों और अन्य को आरोपित किया गया है। गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई ने ये दूसरी प्राथमिकी दर्ज की है।

रिवर फ्रंट घोटाले में सोमवार की सुबह सीबीआई की टीम ने संतकबीर नगर जिले के मेहदावल विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक राकेश सिंह बघेल के गोरखपुर के राप्ती नगर स्थित आवास पर छापेमारी की। पुलिस के साथ पहुंची जांच टीम ने रिवर फ्रंट घोटाले से जुड़े दस्तावेज की पड़ताल की। विधायक के छोटे भाई अखिलेश सिंह की रिशु कंस्ट्रक्शन का नाम भी रिवरफ्रंट घोटाले से जुड़ा है।

गाजियाबाद के शिवालिक अपार्टमेंट में सिंचाई विभाग के तत्कालीन अधिशासी अभियंता रूप सिंह यादव के घर पर कई गाड़ियों में टीम पहुंची। यहां पर दिन भर छापेमारी की गयी। बुलंदशहर में घोटाले में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य राकेश भाटी के आवास प्रीत विहार के घर पर छापा मारा गया। आगरा में भाजपा नेता नितिन गुप्ता के घर विजय नगर कालोनी में सीबीआई की टीम ने छापेमारी कर वहां से कई दस्तावेज अपने कब्जे में लिए। नितिन गुप्ता पहले समाजवादी पार्टी में बड़े पद पर रहा है। उसकी अनुपमा ट्रेडिंग कंपनी के नाम से फर्म है। इसने रिवर फ्रंट में पत्थर लगवाने का काम किया था।

इटावा में रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई का ठेकेदार पुनीत अग्रवाल के घर पर छापा मारा गया। पुनीत अग्रवाल को पूर्व मंत्री शिवपाल यादव का बेहद करीबी बताया जाता है। सीबीआई की छह सदस्य की टीम सुबह पुनीत अग्रवाल के घर पर पहुंची। इस टीम ने पुनीत अग्रवाल के ठेके के कागजों की जांच की है। पुनीत ने 2012-13 में रिवर फ्रंट पर नहर में बंधा बनाने का कार्य किया था।

उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री काल में लखनऊ में गोमती नदी के सौंदर्यीकरण का काम किया गया था। इसको गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर सजाने की योजना थी। समाजवादी पार्टी की सरकार ने गोमती रिवर फ्रंट के लिए 1513 करोड़ मंजूर किए थे। इसमें 1437 करोड़ रुपये जारी होने के बाद भी मात्र 60 फीसदी काम ही हुआ। इस दौरान रिवर फ्रंट का काम करने वाली संस्थाओं ने 95 फीसदी बजट खर्च करके भी पूरा काम नहीं किया था।

गोमती रिवर फ्रंट के निर्माण कार्य से जुड़े इंजीनियरों पर कई गंभीर आरोप हैं। इंजीनियरों पर दागी कंपनियों को काम देने, विदेशों से महंगा सामान खरीदने, चैनलाइजेशन के कार्य में घोटाला करने, नेताओं और अधिकारियों के विदेश दौरे में फिजूलखर्ची करने सहित वित्तीय लेन-देन में घोटाला करने और नक्शे के अनुसार कार्य नहीं कराने का आरोप है।

इस मामले में आठ इंजीनियर्स के खिलाफ पुलिस के साथ सीबीआई व ईडी ने केस दर्ज कर जांच की कर रही हैं। इसमें तत्कालीन चीफ इंजीनियर गोलेश चन्द्र गर्ग, एसएन शर्मा, काजिम अली, शिवमंगल सिंह, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव, सुरेन्द्र यादव शामिल हैं। यह सभी सिंचाई विभाग के इंजीनियर रहे हैं, जिनके खिलाफ जांच चल रही है।

इस घोटाले में आरोप है कि डिफॉल्टर कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया था। इस बड़े प्रोजेक्ट में करीब 800 टेंडर निकाले गए थे, जिसका अधिकार चीफ इंजीनियर को दे दिया गया था। मई 2017 में रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में इसकी न्यायिक जांच में कई खामियां उजागर हुईं थी। इसके बाद रिपोर्ट के आधार पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी।

इस घोटाले के मामले में 19 जून 2017 को गौतमपल्ली थाने में आठ लोगों के खिलाफ अपराधिक केस दर्ज किया गया था। इसके बाद नवंबर 2017 में ईओडब्ल्यू ने भी जांच की थी। दिसंबर 2017 में मामले की जांच सीबीआइ के पास चली गई और जांच एजेंसी ने केस दर्ज कर जांच शुरू की। दिसंबर 2017 में ही आईआईटी की टेक्निकल टीम ने भी जांच की। इसके बाद सीबीआई की जांच को आधार बनाते हुए मामले में ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया।

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