नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई और सरकार के बीच तकरार बढ़ने की वजह से आज गवर्नर उर्जित पटेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उर्जित ने इसके पीछे निजी कारणों का हवाला दिया है। फिलहाल उनका कई दिनों से सर्कार के साथ मनमुटाव चल रहा था। बता दें की उर्जित पटेल पिछले महीने प्रधानमंत्री मोदी से भी मिले थे।उनके समय में ही नोटबंदी हुई थी और आरोप लग रहे थे की नोटबंदी के समय उर्जित की नहीं चल पाई थी साथ ही सरकार के आगे उनकी बातों को नज़रअंदाज़ किया गया। जिसके चलते अटकलें लग रही थी कि सरकार और अर्जित पटेल के बीच मनमुटाव चल रहा था।
पटेल भारतीय रिजर्व बैंक के 24वें गवर्नर थे इन्होने रघुराम राजन की सेवानिवृत्ति के पश्चात् सितम्बर 2016 में अपना पद संभाला था, उप गवर्नर के रूप में उर्जित ने मौद्रिक नीति संबंधी विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता की। भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए इन्होने ब्रिक्स देशों के साथ अंतर-सरकारी समझौते और अंतर-केंद्रीय बैंक करार (आईसीबीए) में मुख्य भूमिका निभाई आकस्मिक आरक्षित निधि व्यवस्था (सीआरए) की स्थापना हुई जो इन देशों के केंद्रीय बैंकों के बीच स्वैप लाइन ढांचा है।
पटेल ने आईडीएफसी लिमिटेड में मुख्य नीति अधिकारी के रूप में कार्य भी किया। डॉ पटेल, दोनों केंद्रीय और राज्य सरकार के स्तर पर कई उच्च स्तरीय समितियों, प्रतिस्पर्धा आयोग, टास्क फोर्स प्रत्यक्ष करों पर, इंफ्रास्ट्रक्चर पर प्रधानमंत्री की टास्क फोर्स, मंत्रियों के समूह दूरसंचार मामलों पर सलाहकार समिति अनुसंधान परियोजनाओं और बाजार अध्ययन पर सहित के साथ काम किया नागरिक उड्डयन सुधारों पर, राज्य बिजली बोर्डों पर विशेषज्ञ समूह में भी काम किया।