Site icon News Ganj

पीवी सिंधु नहीं हुई निराश, भारत के लिए रचा इतिहास, जानें सफलता की कहानी

PV Sindhu

PV Sindhu

नई दिल्ली: भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी पीवी सिंधु (PV Sindhu) के पूरे खेल के सफर के बारे में हर कोई नहीं जनता लेकिन इनके बारे में आपको बता दें की इन्होने हमेशा से अपने हुनर से भारत के लिए इतिहास रचा है। उन्होंने हमेशा भारत (India) को गर्वित महसूस कराया है। पीवी सिंधु ने अपने इंटरनेशनल करियर की शुरुआत 2009 में की थी।

पीवी सिंधु का पूरा नाम पुसरला वेंकटा सिंधु है और उनका जन्म तेलंगाना के हैदराबाद में 5 जुलाई 1995 को हुआ। अगर उनके पिता का नाम टीवी रमणा और माता का नाम पी विजया है। माता-पिता भी खेल से जुड़े हुए थे और दोनों ही वॉलीबॉल के खिलाड़ी थे। पीवी सिंधु की बड़ी बहन भी एक डॉक्टर है। इसका फायदा पीवी सिंधु को यह रहा कि उनको कभी भी खेल के लिए रोका नहीं गया और पीवी सिंधु ने वॉलीबॉल से अलग जाकर बैडमिंटन में अपना करियर बनाने का निश्चय किया।

पीवी सिंधु ने महज 8 साल की उम्र में फैसला किया था कि वे बैडमिंटन को ही अपना करियर बनाएंगी। वे बचपन से ही पुलेला गोपीचंद से काफी ज्यादा प्रेरित रहीं जोकि ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीते थे और हैदराबाद से ही बिलॉन्ग करते थे। पीवी सिंधु के घर और स्पोर्ट्स अकादमी में 56 किलोमीटर का डिस्टेंस था पर फिर भी वे सुबह जल्दी उठकर सीखने के लिए जाया करती थी। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया है की जब वह 21 वर्ष की थी तब उन्होंने अपने कोच के कहने पर मोबाइल को 8 महीने के लिए छोड़ दिया था क्योंकि उनके कोच ने कहा था कि उनका मोबाइल उनके खेल के लिए डिस्ट्रेक्शन बन रहा है।

यह भी पढ़ें: सोनम कपूर-आनंद आहूजा के घर में चोरो का धावा, इतने करोड़ के जेवर चोरी

पीवी सिंधु ने साल 2013 में अपने खेल में ऊंचाइयों की पहली सीढ़ी चढ़ी। वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई। इसके बाद रियो ओलंपिक में भी उन्होंने भारत का नाम गर्व से ऊंचा कर दिखाया। 2013 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया और 2015 में पद्मश्री और 2016 में राजीव गांधी खेल रत्न से उन्हें नवाजा गया। जनवरी 2020 में सिंधु को भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

यह भी पढ़ें: काजल अग्रवाल बनने वाली है मां, बेबी बंप फ्लॉन्ट करते हुए शेयर की फोटो

Exit mobile version