वहीं फेसबुक पोस्ट में उन्होंने आगे लिखा कि सामाजिक कार्य करने के लिए राजनीति को छोड़ना पड़ रहा है। उन्होंने अपनी पोस्ट में कहा है कि मैं हमेशा एक टीम का खिलाड़ी रहा हूं। हमेशा एक टीम को सपोर्ट किया है- मोहनबागान। एक ही पार्टी का समर्थन किया है- भाजपा। बाबुल सुप्रियो ने इस बात का भी जिक्र किया है कि वे बहुत पहले से पार्टी छोड़ना चाहते थे। वे पहले ही मन बना चुके थे कि अब राजनीति में नहीं रहना है।
उन्होंने कहा है कि चुनाव से पहले पार्टी संग मेरे कुछ मतभेद थे। वो बातें चुनाव से पहले ही सभी के सामने आ चुकी थीं। हार के लिए मैं तो जिम्मेदारी लेता ही हूं, लेकिन दूसरे नेता भी जिम्मेदार हैं। बंगाल में भाजपा की वर्तमान स्थिति पर बाबुल ने कहा है कि अब पार्टी के पास कई नेता मौजूद हैं और नौजवान भी पार्टी की ताकत बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने बंगाल में जुड़ने का निर्णय तब लिया यहां पर भाजपा की उपस्थिति न के बराबर थी।
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पिछले कुछ दिनों में मैं अमित शाह और जेपी नड्डा जी के पास गया और उन्हें बताया कि मैं क्या महसूस कर रहा हूं। मैं उनके द्वारा दिए प्यार को कभी नहीं भूल सकता। मेरी हिम्मत नहीं उनके पास जाकर ये कहूं कि राजनीति छोड़ रहा हूं। मैंने काफी पहले ही इस बारे में फैसला कर लिया था। लेकिन अब उनके पास जाऊंगा तो लगेगा कि मैं मोलभाव कर रहा हूं और जब ये ठीक नहीं है तो मैं नहीं चाहता उन्हें गलत संकेत मिले। मैं प्रार्थना करूंगा कि वो मुझे गलत न समझें।