राजनांदगांव। जल संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी में अपने नवाचारपूर्ण प्रयासों के लिए राजनांदगांव जिले ने मंगलवार को राष्ट्रीय पटल पर इतिहास रच दिया। पहली बार जिले को एक ही मंच पर दो प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कारों (National Awards) से सम्मानित किया गया। दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय जल मिशन कार्यक्रम के भव्य समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कलेक्टर जितेंद्र यादव और जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुरूचि सिंह को यह सम्मान प्रदान किया। इस उपलब्धि ने राजनांदगांव को देश का अग्रणी जल प्रबंधन मॉडल बनाकर राष्ट्रीय मानचित्र पर स्थापित कर दिया है।
राष्ट्रीय जल पुरस्कार (National Water Awards) : ईस्ट जोन का ‘बेस्ट डिस्ट्रिक्ट’
जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित राष्ट्रीय जल पुरस्कार प्रतियोगिता में कठोर निरीक्षण, मूल्यांकन और क्षेत्रीय आकलन के बाद राजनांदगांव को ईस्ट जोन का बेस्ट डिस्ट्रिक्ट चुना गया। जिले में वर्षों से चल रहे जल संवर्धन, संरचनाओं के पुनर्जीवन, तकनीकी हस्तक्षेप और जन-जागरूकता से जुड़े कार्य इस सम्मान की प्रमुख वजह रहे। राष्ट्रपति के हाथों यह पुरस्कार (Awards) प्राप्त कर कलेक्टर और सीईओ ने इसे पूरे जिले की जनता की सामूहिक मेहनत का परिणाम बताया।
जनभागीदारी और जल संचय पर 2 करोड़ का प्रोत्साहन पुरस्कार
इसी मंच पर राजनांदगांव को दूसरा बड़ा सम्मान भी प्रदान किया गया। जल संरक्षण और जनभागीदारी में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए जिले को दो करोड़ रुपये का जल संचय से जनभागीदारी प्रोत्साहन पुरस्कार (Awards) मिला। यह सफलता वर्ष 2022 में शुरू किए गए महत्वाकांक्षी मिशन जल रक्षा का प्रत्यक्ष परिणाम है, जिसकी सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इस पूरे अभियान में 70 प्रतिशत से अधिक भागीदारी महिलाओं की रही। इससे मिशन को ‘नारी शक्ति से जल शक्ति’ का सशक्त स्वरूप मिला।
सेमी-क्रिटिकल जोन से बाहर निकालने की वैज्ञानिक रणनीति
सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार जिले के तीन विकासखंड भू-जल स्तर के मामले में सेमी-क्रिटिकल स्थिति में थे। जिले में 85 प्रतिशत भू-जल सिंचाई, 13 प्रतिशत घरेलू तथा दो प्रतिशत औद्योगिक उपयोग में खर्च हो रहा था। इस चुनौती को देखते हुए प्रशासन ने जल शक्ति अभियान – कैच द रेन मोर गांव मोर पानी के तहत एक व्यापक रणनीति तैयार की। इस रणनीति का उद्देश्य जल संरक्षण को प्रशासनिक कार्यक्रम भर नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी और जन-आंदोलन के रूप में विकसित करना था। मिशन जल रक्षा ने गांव से लेकर शहर तक सभी वर्गों को एक मंच पर लाकर जल संवर्धन को सार्वजनिक आंदोलन में बदल दिया।
भू-जल रिचार्ज के तकनीकी नवाचार: सफलता की असली नींव
राजनांदगांव ने भू-जल रिचार्ज बढ़ाने के लिए कई तकनीकी नवाचारों को अपनाया।
• रिचार्ज सॉफ्ट बोरवेल तकनीक से असफल बोरवेल को रिचार्ज संरचनाओं में बदला गया।
• सेंड फिल्टर तकनीक से स्वच्छ जल प्रवाह को सुनिश्चित किया गया।
• परकुलेशन टैंकों में इंजेक्शन वेल बनाकर वर्षाजल को सीधे वाटर टेबल से जोड़ा गया।
• नए बोरवेल के साथ इंजेक्शन वेल को अनिवार्य रूप से विकसित किया गया।
• पहाड़ी क्षेत्रों में रिचार्ज संरचनाएं और लो-लाइन क्षेत्रों में जल संरक्षण संरचनाएं तैयार की गईं।
• जीआईएस आधारित सर्वे, मरम्मत, संधारण और योजना निर्माण ने इस मिशन को वैज्ञानिक मजबूती दी।
इन तकनीकी प्रयासों में सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड, रायपुर ने प्रशिक्षण और तकनीकी मार्गदर्शन देकर अहम भूमिका निभाई।
राष्ट्रीय मानचित्र पर उभरा राजनांदगांव का जल मॉडल
दो राष्ट्रीय पुरस्कार (Awards) प्राप्त कर राजनांदगांव ने यह सिद्ध कर दिया है कि वैज्ञानिक सोच, दक्ष प्रशासन और जनता की भागीदारी को जोड़कर जल संकट जैसी चुनौती का समाधान किया जा सकता है।
जिले का यह मॉडल अब राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रेरक उदाहरण माना जा रहा है। यह उपलब्धि केवल राजनांदगांव के लिए नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गौरव और आशा का संदेश लेकर आई है।

