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मेहनत व हौंसले से पूर्णा सुंदरी ने शारीरिक दुर्बलता को दी मात, UPSC में मिली 286वीं रैंक

पूर्णा सुंदरी

पूर्णा सुंदरी

नई दिल्ली। पूर्णा सुंदरी न सिर्फ अपने परिवार, बल्‍क‍ि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा बनकर उभरी हैं। आंखों में रोशनी न होने के बावजूद पूर्णा ने जिस तरह अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए जोश, दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत कर सफलता पाई है। इसके बाद वह युवाओं के लिए एक नजीर बन गई हैं।

पूर्णा ने  यूपीएससी परीक्षाओं में 286 वीं रैंक हासिल की है, 25 वर्षीय पूर्णा दृष्टिहीन 

पूर्णा ने  यूपीएससी परीक्षाओं में 286 वीं रैंक हासिल की है। बता दें कि 25 वर्षीय पूर्णा दृष्टिहीन हैं। तैयारी के दौरान उन्हें कई बाधाओं का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि उनकी कई ऑडियो फॉर्म में उपलब्ध नहीं थीं, लेकिन उनके परिवार ने उनका जिस तरह से तैयारी में साथ दिया उसी के कारण वो UPSC परीक्षा निकाल पाई हैं।

पूर्णा ने बताया कि मेरे मम्मी-पापा दोनाें चाहते थे कि मैं IAS अफसर बनूं

पूर्णा ने बताया कि यह मेरा चौथा प्रयास था। मैं साल 2016 के बाद से सिविल सेवा एग्जाम की तैयारी कर रही हूं। इसी तैयारी के बल पर इस बार मुझे ऑल इंडिया 286 वीं रैंक मिली है। बता दें कि पूर्णा के पिता एक सेल्स एग्जीक्यूटिव हैं और मां गृहणी हैं। पूर्णा ने बताया कि मेरे मम्मी-पापा दोनाें चाहते थे कि मैं IAS अफसर बनूं। उनके पिता ने उन्हें इसके लिए तैयारी करवाई। वह बताती हैं‍ कि जब मैं 11वीं कक्षा में थी, तभी से पापा ने मेरे मन में यूपीएससी की तैयारी की बात डाल दी थी।

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अपनी स्कूली शिक्षा के बाद, पूर्णा कॉलेज के लिए चेन्नई चली गईंं। वह बताती हैं कि कॉलेज में उनके प्रोफेसरों ने उन्हें सीखने में मदद की। यही नहीं सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए कॉलेज लाइब्रेरी को मेरे उपयोगी बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा तैयार किया।

पूर्णा ने बताया कि कॉलेज से मैं चेन्नई में मणिधा नेयम संस्थान गई, ये एक ऐसा मंच था, जिसने मुझे खुद को स्थापित करने में मदद की। मैं और मेरे दोस्त सरकारी संस्थान में भी गए और साथ ही अड्यार में भी तैयारी की। मेरे माता-पिता और मेरे दोस्त मेरा लगातार साथ देते है। मैंने आज जो कुछ भी हासिल किया है, उसकी वजह यही लोग हैं। मेरे लिए जो बलिदान किए हैं वह घरवालों ने ही किए हैं।

स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला सशक्तीकरण पर करना चाहती हूं काम 

अपने सेलेक्शन के बाद पूर्णा अब पूरी ऊर्जा से भरी है। पूर्णा कहती हैं कि परीक्षा पास करना केवल पहला कदम है। अभी और चुनौतियां मेरा इंतजार कर रही हैं। इससे आगे मैं स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला सशक्तीकरण पर काम करना चाहती हूं। इसी से समाज आगे बढ़ेगा। सरकार की योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए मैं अपना सारा प्रयास करूंगी।

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