कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच केंद्र और राज्य सरकारों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं, संभावना जताई जा रही है कि बच्चों पर असर पड़ सकता है। इन सबके बीच लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई अस्पताल ने पीएम केयर्स फंड के तहत भेजे गए वेंटिलेटर्स को मानकों के उपयुक्त नहीं बताया है। पीजीआई ने सरकार को रिपोर्ट भेज बताया है कि ईएल कंपनी से आए वेंटिलेटर्स की क्वालिटी ठीक नहीं है और 4 प्वाइंटो में वेंटिलेटर्स की क्वालिटी भी बताई है।
सरकार को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार, वेंटिलेटर्स 10 किलो से कम वजन तक के बच्चों के इलाज में कारगर नहीं है, साथ में बहुत आवाज़ भी करता है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि वेंटिलेटर्स में नॉन इनवेसिव वेंटिलेशन ऑप्शन भी नहीं है, यह वेंटिलेटर्स का अहम हिस्सा होता है। इससे पहले ऐसे मामले पंजाब मे आए जहा कोरोना संक्रमण काल में राजनीति भी चरम पर है. इस कड़ी में अब पीएम केअर्स फंड की ओर से मंगाए गए वेंटिलेटर्स की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगा है। इस कड़ी से भी पंजाब का नाम जुड़ रहा है।
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बताते हैं कि पिछले साल पीएम केयर फ़ंड के तहत पंजाब में उपलब्ध वेंटिलेटर्स की एक बड़ी संख्या उपयोग में नहीं लाई जा रही है. इसके पीछे वेंटिलेटर्स की खराब गुणवत्ता वजह बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि ये वेंटिलेटर कुछ देर चलने के बाद बंद हो जा रहे हैं। जाहिर है इस नए आरोप के बाद एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधने का मौका कांग्रेस को मिल गया है। एक डॉक्टर ने कहा कि वेंटिलेटर की गुणवत्ता काफी खराब है, ये मशीन बंद हो जा रही हैं, इसलिए हम मरीजों की जान को जोखिम में नहीं डाल सकते हैं।