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छत्तीसगढ़ के स्थापना दिवस के अवसर प्रधानमंत्री ने ब्रह्माकुमारी के शांति शिखर भवन का किया लोकार्पण

PM Modi inaugurated the Shanti Shikhar Bhawan of Brahma Kumaris

PM Modi inaugurated the Shanti Shikhar Bhawan of Brahma Kumaris

रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) शनिवार को नवा रायपुर के सेक्टर-20 में ब्रह्माकुमारी संस्थान के नवनिर्मित ‘शांति शिखर रिट्रीट सेंटर – एकेडमी फॉर ए पीसफुल वर्ल्ड’ का लोकार्पण किया।

इस अवसर पर राज्यपाल रमेन डेका विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी जयंती, अतिरिक्त महासचिव डॉ. राजयोगी बीके मृत्युंजय और रायपुर क्षेत्र की संचालिका बीके सविता सहित कई वरिष्ठ संत उपस्थित थे।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री (PM Modi) ने आध्यात्मिकता को समाज परिवर्तन का माध्यम बताते हुए कहा कि भारत की परंपरा में ‘शांति’ केवल एक विचार नहीं बल्कि जीवन का संस्कार है। उन्होंने कहा कि शांति शिखर सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मकता और आत्मबल जगाने का प्रतीक है। उन्होंने छत्तीसगढ़ की जनता को स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दीं और कहा कि जब विकास और मूल्य एक साथ चलते हैं, तभी समाज प्रगति की ओर बढ़ता है।

सात वर्षों के अथक प्रयासों से तैयार यह भव्य रिट्रीट सेंटर जोधपुर के गुलाबी पत्थरों से बना है, जो ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा इस शैली में निर्मित विश्व की पहली इमारत है। ‘प्रेस टेंसाइल बीम’ तकनीक से बने इस भवन को 150 से अधिक ट्रकों में लाए गए पिंक स्टोन से तैयार किया गया है।

इस मौके पर राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी जयंती, महासचिव डॉ. बीके मृत्युंजय, और रायपुर की संचालिका बीके सविता मौजूद रहे।

सात साल में बन कर तैयार हुआ ‘शांति शिखर’

शांति शिखर भवन की नींव 15 जनवरी 2018 को तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशिका राजयोगिनी बीके कमला के मार्गदर्शन में रखी गई थी। साल 2022 तक इसका करीब 80 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका था। भवन ठोस मिट्टी पर नहीं था, इसलिए जमीन को गहराई तक खोदकर स्लैब डाला गया और उसी पर पूरी संरचना खड़ी की गई। करीब 150 ट्रकों में जोधपुर से गुलाबी पत्थर (Pink Stone) मंगाए गए, जिनसे यह राजस्थानी शैली की भव्य इमारत बनी। जोधपुर के कुशल कारीगरों ने सात वर्षों में इसे पूरा किया।

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