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Mahashivratri 2020 : मौत के मुहाने पर खड़े लोगों की कैसे रक्षा करता है महामृत्युंजय मंत्र?

महामृत्युंजय मंत्र

महामृत्युंजय मंत्र

नई दिल्ली। महाशिवरात्रि का पर्व शुक्रवार 21 फरवरी को पूरे देश में श्रद्धापूर्वक मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-आराधना की जाती है। महाशिवरात्रि में शिवलिंग पर बिल्वपत्र, दूध, दही, धतूरा और जलाभिषेक कर भगवान शिव को प्रसन्न किया जाता है।

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शिवलिंग के सामने ध्यान लगाकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना शुभफलदायी

भगवान शिव की पूजा-अर्चना के दौरान शिवलिंग के सामने ध्यान लगाकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना शुभफलदायी माना जाता है। महाशिवरात्रि के मौके पर महामृत्युंजय मंत्र के जाप के चमत्कारी फायदे हैं।

जानें क्या है महामृत्युंजय मंत्र?

महामृत्युंजय मंत्र भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने का सबसे लाभकारी मंत्र है। वेदों और पुराणों में बताया गया है कि असाध्य रोगों से छुटकारा पाने और अकाल मृत्यु से बचने का मंत्र है महामृत्युंजय जप।

महामृत्युंजय मंत्र-

ऊँ त्र्यंबकम् यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्द्धनम्। ऊर्वारुकमिव बंधनात, मृत्योर्मुक्षिय मामृतात्।।

महामृत्युंजय मंत्र का सरल अर्थ

तीन नेत्र वाले भगवान शिव की हम आराधना करते हैं।आप हमें जीवन और मृत्यु के बंधन से मुक्त होकर अमृत की ओर अग्रसर हों।

महामृत्युंजय मंत्र के फायदे

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महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति की कथा

इस मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद (मंडल 7, हिम 59) में किया गया है। भगवान शिव के अनन्य भक्त ऋषि मृकण्डु और उनकी पत्नी मरुद्मति की कोई संतान नहीं थी। संतान की कामना के लिए दोनों ने भगवान शिव की तपस्या आरंभ कर दी। लेकिन ऋषि मृकण्डु के भाग्य में संतान सुख नहीं था। फिर भी भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रभावित होकर उन्हें दो विकल्प दिए। जिसमें पहला विकल्प अल्पायु बुद्धिमान पुत्र का वरदान और दूसरा दीर्घायु मंदबुद्धि पुत्र का वर।तब बहुत सोच विचार के बाद ऋषि मृकण्डु ने पहले विकल्प को चुना और उन्हें मार्कंडेय नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका जीवन काल मात्र 12 वर्ष का था।

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