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लोकसभा में बीजेपी सांसद ने किया जातीय जनगणना का समर्थन, बयान सुन कई भाजपा नेता दिखे हैरान

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लंबे वक्त से जातीय गणना कराने पर जोर डाल रहे हैं, अब भाजपा सांसद ने भी इसकी मांग कर दी है। विपक्ष की कई पार्टियों के द्वारा उठाई जा रही इस आवाज के बीच अब भारतीय जनता पार्टी की सांसद संघमित्रा मौर्य ने इसकी मांग की है। मंगलवार को लोकसभा में जब ओबीसी आरक्षण बिल को लेकर चर्चा हो रही थी, तब बीजेपी की ओर से संघमित्रा मौर्य ने अपनी बात रखी।

मौर्य ने कहा कि पिछली सरकारों ने जातिगत जनगणना का विरोध किया, लेकिन अब केंद्र सरकार ने राज्यों को इसका अधिकार दे दिया है। उन्होंने कहा- पिछली सरकारों में पिछड़ी जाति के लोगों की सही गिनती नहीं होती थी, अगर जातिगत जनगणना होती है तो पिछड़े समुदायों को लाभ मिलेगा।

मौर्य ने कहा, आजादी के बाद सबसे अधिक समय तक केंद्र में कांग्रेस की सरकार रही है। हालांकि इस दौरान कांग्रेस ने ओबीसी के हित में एक भी कदम नहीं उठाया। मौर्य ने कहा, कांग्रेस की सरकारों ने जानवरों की गिनती तो की। इनकी संख्या को प्रकाशित भी किया, मगर आधा दशक तक सत्ता में रहने के बावजूद ओबीसी समाज की गिनती नहीं कराई।

सरकार के दो सहयोगी दलों जदयू और अपना दल ने जाति आधारित जनगणना को विशेष अहमियत दी। जदयू के ललन सिंह ने जहां इसे वक्त की जरूरत बताया। वहीं अपना दल की अध्यक्ष और वाणिज्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि वास्तविक संख्या जाने बिना ओबीसी को सरकारी योजनाओं सहित कई अन्य योजनाओं का लाभ पहुंचाना संभव नहीं है।

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जाति जनगणना के सवाल पर भाजपा ने ही नहीं बल्कि कांग्रेस ने भी चुप्पी साध ली। कांग्रेस ने भले ही आरक्षण के लिए तय 50 फीसदी की सीमा को खत्म करने की मांग की, मगर जाति आधारित जनगणना के सवाल पर पार्टी ने चुप्पी साध ली। भाजपा की ओर से श्रममंत्री भूपेंद्र यादव, संघमित्रा मौर्य सहित चार सदस्यों ने चर्चा में हिस्सा लिया।

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